बिजनेस प्लान कैसे बनाए Businesses प्लान बनाने से पहले कुछ बातों का हमे विशेष खयाल रखना चाहिए- सर्वप्रथम तो ये देखना है हम पहले से अगर कुछ छोटा मोटा काम कर रहे है या जैसा भी व्यवसाय कर रहे है, उस बिजनेस ( Bussiness) को बेहतर कैसे बना कते है यानी जो हम कर रहे है उसमे अच्छी सफ़लता क्यों नही मिल रही है हम गलती कहा कर रहे है ये देखना बहुत जरूरी है। एक सबसे बडी बात ये भी आपके व्यवसाय में जब भी आप शुरू करते है उसके आय व्यय का हिसाब आपके पास होना चाहिए,यानी की ये देखना जरुरी है कि आप ने कितने फायदा कमाया या कितना नुकसान गया, कितना उसपर खर्च आया और कितना लास्ट में बचा है,ये देखना बहुत जरुरी है। जिस काम को कर रहे हो या शुरू करना चाहते हो उसमे ये देखना आवश्यक है की उसे हम दुसरे से बेहतर या दूसरों से अलग कैसे कर सकते है या ग्राहक के समक्ष प्रस्तुत कैसे कर सकते है जिससे वो दूसरों से अलग दिखे। व्यवसाय शुरू करने की लिए निजी भवन या बिल्डिंग की जरूरत नही होती है, आप इसके किराए में ही वहा बेहतर कर सकते हो इसलिए ये विचार ना लाए की मेरे पास अच्छी बिल्डिंग नहीं है। बिजनेस ( Bussiness) हमेशा 1000 दिन म
प्रिति और कीर्ति का संवाद! क्या लिखू?
एक बार प्रिति और कीर्ति को एक कॉलेज के प्रोजेक्ट के लिए असाईनमेंट लिखने के लिए मिला।जब दोनों ने घर जाकर प्रोजक्ट के विषय में चर्चा कर रही थी के" क्या लिखूं ?" कुछ समझ नहीं आ रहा है किसी विषय पर लिखना हो तो क्या लिखूं ?,कैसे लिखूं? किस तरह से लिखूं ? क्या क्या विषय वस्तू डालना है ।दोनों बात कर ही रही थी कि अचानक उनकी मां का प्रवेश होता है।
माता जी का प्रवेश होता है
जब उन दोनों की माता देवकन्या बाई ने ये सब सुना तो तो उन्होंने उन दोनों से चर्चा कर बोला ठहरिये ,मैं आप दोनों को बताती हूं कैसे किसी विषय वस्तू को विस्ताररित रुप प्रदान किया जाता है।
माता ने बता बताना प्रारंभ किया-
विषय वस्तु को सर्वप्रथम शीर्षक के रुप में लिखना
प्रिती और किर्ती ने पूछा वो कैसे लिखते है?
उनकी माता जी ने समझाया जब हमें किसी विषय के बारे में विस्तार से लिखना होता है उस विषय को छोटे रुप में या कम शब्दों में लिखना या यू कहे शीर्षक से ही सामने वाला पूरे पद्यांश का सार समझ जाता है के निम्न लिखी जानकारी किसके बारे में हो सकती है ।शीर्षक हमेंशा जो लिखना है उसके शुरुआत में लिखा जाता है ।जिससे पहले ही पाठक आसानी से उसे समझ कर आगे तक पढ़ने में रुचि रखता है।
शीर्षक के स्थान की जानकारी
जिस शीर्षक पर आप लिखना चाह रहे हैं उसकी जानकारी आपको होना चाहिए या नही है तो वहां जानकर उस जगह को देखकर या शिलाओं पर सब लिखा होता है उनको पढ़कर या या फिर वहां जाने के बाद वहां की पुस्तकों में पढ़कर या वहां की जानकारी रखने वाले व्यक्तियों से समिति सदस्यों से सही व सटीक जानकारी लेकर उस जगह के बारे में विस्तार से लिखना होता है।वहां देखने की क्या क्या चिजें है वे पर्यटन स्थल है या प्राचीन धरोहरें है या धार्मिक स्थल है जैसे जिस विषय पर आपको लिखना है सारी जानकारी प्राप्त।कर लिखना चाहिए।
आगे माता जी बताती है कि
प्रसिद्धी का कारण
किसी शीर्षक को लिखते समय हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि वो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध क्यों है ? वहां किस चिज के लिए लोग आते है एेसा क्या है वहां देखने का है या एेसी परम्परागत मान्यताओं का है वह कारण आपके शिर्षक को प्रभावी बनायेगा।
शीर्षक का इतिहास
किसी भी विषय को लिखते समय कुछ विषयों में ये भी रहता है कि शीर्षक का इतिहास कितने वर्षों पुराना है क्या क्या पुरानी घटनाएं वहां घट चूकी है ये सारे वर्णन उसमें होने चाहिए ।वहां किस वजह से वो इतिहास बन गया है कितने वर्षों पुराना है ,उसकी उत्पत्ति कैसे हुई है? इतिहास का प्रमुख घटक कौन है रहा है ? जैसे सभी विषयों को हमें हमारे विषय अन्तर्गत लिखना होता है।
कैसे लिखू?
सबसे महत्वपूर्ण से भी रहता है क्या लिखूं समझ आया है पर किसी विषय को कैसे लिखूं ? ये भी महत्वपूर्ण होता है। किसी भी विषय पर लिखते समय सबसे महत्व आप की भाषा शैली होती है ।जिस विषय पर हम लिखने वाले हैं इसकी भाषा साफ व व्यवस्थित होना चाहिए। मात्राओं व अक्षरों को सही लिखना होता है ।जिससे पढ़ने वाला आसानी से सही समझ सके,आपके लिखे हुए शब्दों को आसानी से पढ़ सके।आपकी शब्दावलि में सरल भाषा व शुद्धता होनी चाहिए।
किर्ती और प्रिर्ती ने मां से कहा मां हम पूरी तरह से समझ चूके हैं ।हमें कैसे ? कब ? क्यू? और क्या ? लिखना है ।अब हम अपने कार्य को आसानी से कर सकेंगे।इतना कह मां घर के अन्दर चली जाती है ।और दोनों ने अपना कार्य प्रारंभ कर दिया है।
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