जीवन को बेहतर बनाने के तरीके दुनिया में हर व्यक्ति चाहता है की उसका जीवन बेहतर हो अच्छा हो, उसके जीवन में किसी प्रकार की कोई कमी ना रहे, उसे हर खुशी मिले , यह हर व्यक्ति की सोच रहती है। अब सबसे महत्त्वपूर्ण ये है की हम इन सब को कैसे अच्छा कर सकते है, या जीवन को कैसे बेहतर बना सकते है। बेहतर जीना है तो हमे अपनी सोच बदलकर शुरुआत करनी चाहिए। हमारा स्वभाव ऐसा होता है कि हम अपने से ज्यादा पैसे वाले, अपनो से ज्यादा सुंदर या जो चीज़ हमारे पास नहीं है और वो चीज़ दुसरे के पास है या हमसे ज्यादा है या हमसे अच्छी है, तो हमारे मन में ये विचार चलते रहते है की हमारे पास ये नहीं इसके पास ये है,इस विचार से हम दुःखी या मन में अच्छा फील नहीं करने लगते है, तो इसके लिए हमे ये चाहिए कि हम इस प्रकार की तुलना या सोच ना रखते हुए ये विचार रखें कि जो हमारे पास है हम उसमे ही खुश है। जो है हमारे पास पर्याप्त है। तो हम थोड़ा तनाव मुक्त होकर अच्छा अनुभव करेंगे। यही तो बेहतर जीवन है दोस्तों। जीवन में बदलाव कैसे लाए जीवन में कुछ बढ़ा या अच्छा करना हो तो जैसे पहले जीवन चल रहा था, उसने बदलाव की जरूरत है। जीवन
सृष्टि पर जो कुछ भी घटित होता है, प्रकृति के नियमानुसार घटित होता है।प्रकृति में निरन्तर आमूलचूल परिवर्तन होते रहते है,फिर भी वह अपने निरन्तर क्रम में चलती रहती है।
कौन क्या उसके साथ खिलवाड़ कर रहा है ,उसे दूषित तो कही खनन तो कही जंगलो की कटाई तो कही आग से लड़ते हुई भी अपने अस्तित्व को बचाये हुए है। कितने ही प्रकार के आघात सहने के बाद भी स्थिर रहते हुए अपने अस्तित्व को संजोकर रख रही है।
फिर इंसान क्यों हार मान लेता है।आपके विकास क्रम में जिस प्रकार से प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ हो रहा है ठीक उसी प्रकार आपके साथ भी आपकी प्रगति के विरोध में अवरोध पैदा करने के उद्देश्य से लोग आपके विकास क्रम की गति को कम करने के लिए अवरोध पैदा करते हैं।हमें प्रकृति से सिख लेते हुए निरन्तर अपने प्रयासों को जारी रखना चाहिए,ताकि हम किसी भी प्रकार की रुकावट का सामना करते हुए निपन्तर प्रकृति की भांति आगे बढ़ते रहे।
प्रकृति से दूसरी सिख सिखना हो तो एक हरे पेड़ को देखना,एक पापी व्यक्ति जो हरे वृक्ष को काटता है उसके स्वार्थ के लिए ,फिर भी वृक्ष कुछ समय में कटने के बाद भी नयी डालियों के साथ फूटन करके पुन:फलदार वृक्ष बनकर खड़ा हो जाता है ,फिर इंसान क्यों एक बार हार मानकर किसी कार्य को करने से परहेज करने लगता है।
हमें उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए प्रकृति के अनुरुप हमारे संघर्षों को भी निरन्तर गतिशील बनाये रखना है ताकि हमारा जीवन निरन्तर प्रकृति की भांति गतिशील होता रहे।
Nice
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