दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
सृष्टि पर जो कुछ भी घटित होता है, प्रकृति के नियमानुसार घटित होता है।प्रकृति में निरन्तर आमूलचूल परिवर्तन होते रहते है,फिर भी वह अपने निरन्तर क्रम में चलती रहती है।
कौन क्या उसके साथ खिलवाड़ कर रहा है ,उसे दूषित तो कही खनन तो कही जंगलो की कटाई तो कही आग से लड़ते हुई भी अपने अस्तित्व को बचाये हुए है। कितने ही प्रकार के आघात सहने के बाद भी स्थिर रहते हुए अपने अस्तित्व को संजोकर रख रही है।
फिर इंसान क्यों हार मान लेता है।आपके विकास क्रम में जिस प्रकार से प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ हो रहा है ठीक उसी प्रकार आपके साथ भी आपकी प्रगति के विरोध में अवरोध पैदा करने के उद्देश्य से लोग आपके विकास क्रम की गति को कम करने के लिए अवरोध पैदा करते हैं।हमें प्रकृति से सिख लेते हुए निरन्तर अपने प्रयासों को जारी रखना चाहिए,ताकि हम किसी भी प्रकार की रुकावट का सामना करते हुए निपन्तर प्रकृति की भांति आगे बढ़ते रहे।
प्रकृति से दूसरी सिख सिखना हो तो एक हरे पेड़ को देखना,एक पापी व्यक्ति जो हरे वृक्ष को काटता है उसके स्वार्थ के लिए ,फिर भी वृक्ष कुछ समय में कटने के बाद भी नयी डालियों के साथ फूटन करके पुन:फलदार वृक्ष बनकर खड़ा हो जाता है ,फिर इंसान क्यों एक बार हार मानकर किसी कार्य को करने से परहेज करने लगता है।
हमें उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए प्रकृति के अनुरुप हमारे संघर्षों को भी निरन्तर गतिशील बनाये रखना है ताकि हमारा जीवन निरन्तर प्रकृति की भांति गतिशील होता रहे।
Nice
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