बिजनेस प्लान कैसे बनाए Businesses प्लान बनाने से पहले कुछ बातों का हमे विशेष खयाल रखना चाहिए- सर्वप्रथम तो ये देखना है हम पहले से अगर कुछ छोटा मोटा काम कर रहे है या जैसा भी व्यवसाय कर रहे है, उस बिजनेस ( Bussiness) को बेहतर कैसे बना कते है यानी जो हम कर रहे है उसमे अच्छी सफ़लता क्यों नही मिल रही है हम गलती कहा कर रहे है ये देखना बहुत जरूरी है। एक सबसे बडी बात ये भी आपके व्यवसाय में जब भी आप शुरू करते है उसके आय व्यय का हिसाब आपके पास होना चाहिए,यानी की ये देखना जरुरी है कि आप ने कितने फायदा कमाया या कितना नुकसान गया, कितना उसपर खर्च आया और कितना लास्ट में बचा है,ये देखना बहुत जरुरी है। जिस काम को कर रहे हो या शुरू करना चाहते हो उसमे ये देखना आवश्यक है की उसे हम दुसरे से बेहतर या दूसरों से अलग कैसे कर सकते है या ग्राहक के समक्ष प्रस्तुत कैसे कर सकते है जिससे वो दूसरों से अलग दिखे। व्यवसाय शुरू करने की लिए निजी भवन या बिल्डिंग की जरूरत नही होती है, आप इसके किराए में ही वहा बेहतर कर सकते हो इसलिए ये विचार ना लाए की मेरे पास अच्छी बिल्डिंग नहीं है। बिजनेस ( Bussiness) हमेशा 1000 दिन म
सृष्टि पर जो कुछ भी घटित होता है, प्रकृति के नियमानुसार घटित होता है।प्रकृति में निरन्तर आमूलचूल परिवर्तन होते रहते है,फिर भी वह अपने निरन्तर क्रम में चलती रहती है।
कौन क्या उसके साथ खिलवाड़ कर रहा है ,उसे दूषित तो कही खनन तो कही जंगलो की कटाई तो कही आग से लड़ते हुई भी अपने अस्तित्व को बचाये हुए है। कितने ही प्रकार के आघात सहने के बाद भी स्थिर रहते हुए अपने अस्तित्व को संजोकर रख रही है।
फिर इंसान क्यों हार मान लेता है।आपके विकास क्रम में जिस प्रकार से प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ हो रहा है ठीक उसी प्रकार आपके साथ भी आपकी प्रगति के विरोध में अवरोध पैदा करने के उद्देश्य से लोग आपके विकास क्रम की गति को कम करने के लिए अवरोध पैदा करते हैं।हमें प्रकृति से सिख लेते हुए निरन्तर अपने प्रयासों को जारी रखना चाहिए,ताकि हम किसी भी प्रकार की रुकावट का सामना करते हुए निपन्तर प्रकृति की भांति आगे बढ़ते रहे।
प्रकृति से दूसरी सिख सिखना हो तो एक हरे पेड़ को देखना,एक पापी व्यक्ति जो हरे वृक्ष को काटता है उसके स्वार्थ के लिए ,फिर भी वृक्ष कुछ समय में कटने के बाद भी नयी डालियों के साथ फूटन करके पुन:फलदार वृक्ष बनकर खड़ा हो जाता है ,फिर इंसान क्यों एक बार हार मानकर किसी कार्य को करने से परहेज करने लगता है।
हमें उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए प्रकृति के अनुरुप हमारे संघर्षों को भी निरन्तर गतिशील बनाये रखना है ताकि हमारा जीवन निरन्तर प्रकृति की भांति गतिशील होता रहे।
Nice
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