होंसलों का नाम है जिन्दगी
तू हारा नहीं है तू जितेगा,
तू रूक मत तू फिर जितेगा,
गिरा है गिरने दे,
तू उठ खड़ा हो फिर संभलेगा,
तू देख जमाना जमाना तेरा दिवाना होगा,
बस शर्त है होंसलों को बुलन्द रख इसी का नाम असल जिन्दगी है।
तूफानों को पार ना है तूझे ,हर संघर्ष को पार करना है तूझे
लड़खड़ाते पांव पर फिर चलना है तूझे तू हार मत तूझे जिना है फिर से।
तू पिता हो सकता है,तू बहन का भाई हो सकता है तू नौकर हो सकता है तू बॉस हो सकता है।
तू मालिक हो सकता है,तू हारा नहीं है ,तू सिखा है उससे कुछ,कुछ सिखा है तो फिर हारता क्यू हैं,ये जिन्दगी उन लोगों की है जो कभी हारे नहीं है इतनी है समस्या तेरी,तू फिर भी चल , पिछे ना देख , सफलता तेरा इंतजार कर रही है।
सफलता है तेरे हाथों का खेल, तू जैसे चाहे वैसे खेल सकता है,फिर निराश क्यों है तू।
संघर्षों के सांयो में जो पलता है।
इतिहास गवाह है इतिहास वही लिखता है।
एक अंकूरित बीज जब जमीन से निकलता है तो सोचो जमीन के अन्दर कितना तपा होगा,भाप के कारण उसका दम सा घूट जाता होगा,फिर भी हार नहीं मानता है,अंकूरित होकर फिर बाहर आने का प्रयास करता है तो फिर संघर्ष करना है जितनी उसके अंकूरण की क्षमता नहीं होती है उससे कई गुना ज्यादा उसके वजन से उस जगह की मिट्टी हो हटाना पड़ता है,जितनी उसकी क्षमता नहीं है पर धिरे धिरे अंकूरित होने के कारण वह मिट्टी को भी धीरे धीरे लगातार प्रयास करने से यानी धीरे धीरे अंकूरित होने से वो बाहर आ जाता है और कुछ समय पश्चात फल दे देता है,तो जैसा अंकूरित होकर पौधा बनने तक उसका संघर्ष जारी रहता है फिर हम तो इंसान है जिसने उसे बोया है फिर हम उससे क्यों नहीं सिख लेते है।हम कमजोर नहीं है ,हमारी सोच हमें कमजोर कर देते है,कि मैं नहीं कर पाऊंगा ये ही सोच आपको कमजोर करती है।आप आगे बढ़िये शुरुआत करिये ,सफलता आपके कदम चूमेगी।
सफल बनने की सोच,सफल जिन्दगी बनाती है
दूसरे के सुख से दु:खी लोग
असल जिन्दगी में वही लोग तरक्की और सुखी रहते हैं जो लगातार अपने कर्म को प्राथमिकता देते हुए अपने कार्यों को दुनिया की सभी अवधारणाओं को नजर अन्दाज करके करते जाता है वो असल जिन्दगी में सुखी इंसान है ।
Comments
Post a Comment