बिजनेस प्लान कैसे बनाए Businesses प्लान बनाने से पहले कुछ बातों का हमे विशेष खयाल रखना चाहिए- सर्वप्रथम तो ये देखना है हम पहले से अगर कुछ छोटा मोटा काम कर रहे है या जैसा भी व्यवसाय कर रहे है, उस बिजनेस ( Bussiness) को बेहतर कैसे बना कते है यानी जो हम कर रहे है उसमे अच्छी सफ़लता क्यों नही मिल रही है हम गलती कहा कर रहे है ये देखना बहुत जरूरी है। एक सबसे बडी बात ये भी आपके व्यवसाय में जब भी आप शुरू करते है उसके आय व्यय का हिसाब आपके पास होना चाहिए,यानी की ये देखना जरुरी है कि आप ने कितने फायदा कमाया या कितना नुकसान गया, कितना उसपर खर्च आया और कितना लास्ट में बचा है,ये देखना बहुत जरुरी है। जिस काम को कर रहे हो या शुरू करना चाहते हो उसमे ये देखना आवश्यक है की उसे हम दुसरे से बेहतर या दूसरों से अलग कैसे कर सकते है या ग्राहक के समक्ष प्रस्तुत कैसे कर सकते है जिससे वो दूसरों से अलग दिखे। व्यवसाय शुरू करने की लिए निजी भवन या बिल्डिंग की जरूरत नही होती है, आप इसके किराए में ही वहा बेहतर कर सकते हो इसलिए ये विचार ना लाए की मेरे पास अच्छी बिल्डिंग नहीं है। बिजनेस ( Bussiness) हमेशा 1000 दिन म
अच्छे दोस्त की 10 अच्छी बातें
1. एक अच्छा मित्र हर परिस्थितियों में साथ रहते हैं,किसी भी परिस्थियों का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं,वे सुख व दु:ख होने पर भी हमारे साथ रहते हैं।
2. अच्छे दोस्त आपके साथ मुसिबत आने पर भी साथ रहेंगे, तब तक रहेंगे, जब तक आप किसी भी तरह से सामान्य स्थिति में नहीं आ जाये। अच्छे दोस्त बुरे समय में कभी साथ नहीं छोड़ते हैं।
3. वे हमेंशा किसी भी कार्य को करने के लिए सहयोग के रुप में हमारा साथ देते हैं।
4. अच्छा दोस्त गरीब अमीर नहीं देखता है,वह पैसा देखकर व्यवहार नहीं करता है।
5.अच्छा दोस्त दोस्ती का मतलब समझता है, ये वो दोस्त है।दोस्त छोटा बड़ा नहीं होता है,ये अहसास ना कराये वो अच्छा दोस्त होता है।
6.दोस्त के लिए झूक जाये वो आपका अच्छा दोस्त है, दोस्त दोस्ती के लिए झूक जाय वो आपका सच्चा दोस्त है।
7. दोस्त की दोस्ती पैसा देखकर ना की गई हो वो आपका अच्छा दोस्त हो सकता है।
8.दोस्त हमारे मुसिबत में साथ खड़ा रह सके वो हमारा अच्छा दोस्त होता है।
9. जो हमारे गलत कार्यों की सफाई कर दे, हमारे अच्छे दोस्त होते हैं।
10. मित्र सच्चा होना चाहिए,व निर्लोभी होना चाहिए।
दोस्त के साथ व्यवहार कैसा होना चाहिए।
दोस्त की दोस्ती सबसे खुबसुरत स्नेह है ,जो हमेंशा परस्पर जुड़ा रहता है।दोस्त के साथ सहज व सरल व्यवहार होना चाहिए,दोस्त के साथ हमारी मित्रता मजबूत हो ऐसा व्यवहार होना चाहिए,कभी भी आवश्यकता पढ़ने पर हमें मित्र की जरुरतों को या उसकी आवश्यकता अनुसार जितनी हम कर सके मदद करना चाहिए।मित्रों अहसासों का बंधन है,जो निभाया जाता है,मजबूरी में जोड़ने वाला रिश्ता नहीं है,यह दो व्यक्तियों के विचारों का मेल होता है।
बीना स्वार्थ के जो हमारा साथ दे वो हमारा सच्चा मित्र होता है।दोस्त ऐसा होना चाहिए जिसका चेहरा हमेंशा हंसमुख रहे,हम किसी भी परिस्थियों में उसका चेहरा देख कर मन में हंसी आ जाये वो हमारा सच्चा दोस्त होता है।
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