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दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए| Do Dilon Ka rishta

 दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है।  दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।

customer|ग्राहक के साथ हमारा व्यवहार

 customer|ग्राहक के साथ हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए।

Customer(ग्राहक) वह व्यक्ति होता है जो आपके व्यवसाय का भविष्य तय करता है,आपके व्यवसाय को कितनी ऊंचाईयों पर ले जाना है ये सब उनकी भूमिका से तय होता है।ग्राहक हमारे व्यवसाय का अहम् हिस्सा है।उनके साथ  हमारा व्यवहार आत्मियता का होना चाहिए।ग्राहक के साथ हमेंशा शालिनता से बात करना चाहिए।ग्राहक जब भी हमारे व्यवसाय पर कुछ खरीदने आता है तो हमारी जिम्मेदारी बनती है हमारे आचरण व व्यवहार व बोली की कुशलता से वह प्रसन्न रहे साथ ही हमारे व्यवसाय की सामग्री को हम अच्छी तरह उसके समक्ष प्रस्तुत कर सके।ताकि वह प्रसन्न होकर दोबारा आपके प्रतिष्ठान्न पर फिर पर आता है।जब आपके व्यवसाय पर कस्टमर दोबारा आता है यानी वह आपकी कार्यशैली व आपके व्यवहार व आपकी सामग्री से वह संतुष्ट है। 

ग्राहक(customer)की संतुष्टि के लिए क्या कर सकते हैं ?

ग्राहक हमेंशा यही सोच लेकर आपकी दूकान या जहां आप व्यवसाय कर रहें है पर आता है कि आप उसके साथ किस प्रकार से बात करते हैं या संतुष्टि प्रद आपका कार्य होता है।हमें ग्राहक को संतुष्ट करने के लिए उसकी इच्छानुसार चिजों को बताना चाहिए,हमेंशा हमारा व्यवहार उसके मान सम्मान को ठेस नहीं पहूंचाना चाहिए।हमारा व्यवहार चिढ़चिढ़ापन सा नहीं होना चाहिए।ग्राहक द्वारा सामग्री नहीं भी लेने पर मुस्काराकर फिर पधारियेगा,जैसे शब्दों का प्रयोग ग्राहक को हमारी ओर आकर्षित होता है।

ग्राहक हमेंशा चाहता के दुकानदार उनसे आराम  से या शालीनता से बात करे,ताकि उसे ऐसा नहीं लगे कि मैंरे सम्मान को (शब्दों से) सामान नहीं लेने पर भी दूकानदार का व्यवहार शालीन व्यवहार है।

ग्राहक को देख कर हमें चिज बताना चाहिए,ग्राहक किस चिज की किस मूल्य की चिज की अपेक्षा कर रहा है उसे उसी मूल्य से जूड़ी वस्तु बताना या देना चाहिए ताकि अगली बार भी वह जल्दी आपके व्यवसाय या दूकान पर अवश्य पधारेगा।

ग्राहक(customer) का प्रकार 

 ग्राहक अधिकांश दो प्रकार के ही आते है ,या तो उन्हें अच्छी महंगी वस्तु चाहिए या फिर भी कम किमत की,जो ग्राहक(customer) कम किमत की चिज मांगता है उन्हें वैसे ही किमत की सामग्री बताये,जो ज्यादा किमत की मांगते हैं उन्हें वैसी ही बताये।तीसरे प्रकार के बहुत कम लोग रहते हैं जिनके आप जिस किमत के भी चिज बताओगे वो उसी रेट की ले लेंगे।हमें सभी प्रकार के ग्राहको(customers) का ध्यान मे रखकर ही हमारे व्यवसाय या उत्पादन युनिट को बढ़ाना चाहिए।

ग्राहक से लेन देन कैसे करें?

ग्राहक जब भी आपकी दुकान का रुख करता है या घर से निकलता है तो मन में विचार अवश्य करके निकलता है हमें किस दूकान से सामग्री खरीदनी है।यह पहले से तय होता है ,अब हमें यह चाहिए होता है कि हमारे पास जब भी ग्राहक है सामग्री को उधार हमें नहीं देना चाहिए,नहीं तो आपका व्यवसाय अगर नया नया प्रारंभ हुआ है तो थोक व्यपारियों के पास पैसा नहीं पहूंचने पर आपके सामग्री आना बन्द हो जायेगी।जब सामग्री आना बन्द हो जायेगी तो आपके दुकान पर आवश्यक सामग्री ग्राहकों को उपलब्ध नहीं होगी,ऐसे में ग्राहक आपकी दूकान से आना बन्द कर देंगे,ये सोच कर ही नहीं आयेंगे के आपके पास पर्याप्त सामान नहीं है ,हमारे आवश्यकता की सभी चिजें उस दूकान पर नहीं मिलेगी,सामान कम हो गया हमारा ,ऊपर से वो उधारी का पैसा भी समय पर नहीं आ रहा है ,हमें पैसों की जरुरत है,ऐसे में धीरे धीरे करते करते हमारा व्यवसाय हमें बन्द करना पढ़ेगा।इसलिए हमारा लेन देन अच्छा व समय पर होते रहना चाहिए। 

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