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जीवन को बेहतर कैसे बनाए। Jiwan Ko kaise Behatar Banaye

 जीवन को बेहतर बनाने के तरीके  दुनिया में हर व्यक्ति चाहता है की उसका जीवन बेहतर हो अच्छा हो, उसके जीवन में किसी प्रकार की कोई कमी ना रहे, उसे हर खुशी मिले , यह हर व्यक्ति की सोच रहती है।          अब सबसे महत्त्वपूर्ण ये है की हम इन सब को कैसे अच्छा कर सकते है, या जीवन को कैसे बेहतर बना सकते है। बेहतर जीना है तो हमे अपनी सोच बदलकर शुरुआत करनी चाहिए। हमारा स्वभाव ऐसा होता है कि हम अपने से ज्यादा पैसे वाले, अपनो से ज्यादा सुंदर या जो चीज़ हमारे पास नहीं है और वो चीज़ दुसरे के पास है या हमसे ज्यादा है या हमसे अच्छी है, तो हमारे मन में ये विचार चलते रहते है की हमारे पास ये नहीं इसके पास ये है,इस विचार से हम दुःखी या मन में अच्छा फील नहीं करने लगते है, तो इसके लिए हमे ये चाहिए कि हम इस प्रकार की तुलना या सोच ना रखते हुए ये विचार रखें कि जो हमारे पास है हम उसमे ही खुश है। जो है हमारे पास पर्याप्त है। तो हम थोड़ा तनाव मुक्त होकर अच्छा अनुभव करेंगे। यही तो बेहतर जीवन है दोस्तों। जीवन में बदलाव कैसे लाए जीवन में कुछ बढ़ा या अच्छा करना हो तो जैसे पहले जीवन चल रहा था, उसने बदलाव की जरूरत है। जीवन

Winter season(शरद ऋतु)

 Good morning frinds. शरत ऋतु में सुबह का आलम

आज सुबह सुबह ठंडी तेज लग रही थी सुबह की शुरुआत आज मेरी प्यारी गुड़िया ने good morning  पापा कह कर उठाकर पुरे दिन को खुशियों से पहले ही भर दिया है,ठंड लग रही है मैं फिर उठने का प्रयास कर रहा था ,एक ओर सोच रहा हूं थोड़ी देर और सो जाओ,फिर सोच रहा हूं नहीं कार्य पहले जरुरी है ,जल्दी उठना स्वास्थ्य और भविष्य के लिए फायदेमंद है।सोच कर उठ जाता हूं,सामने एक फूल सा कोमल सा चेहरे नन्हीं सी मुस्कान लिए सामने खड़ी है।मैंने उठ कर गरम पानी पिने के लिए जो प्रतिदिन मेरी दिनचर्या में रहता है,गरम करके 1 गिलास पानी पिया ,फिर कुछ देर बाद नित्य क्रिया करने के पश्चात में हमेंशा की तरह आज भी दोड़ने के लिए पहूंच जाता हूं।

 दोड़ स्थल का नजारा  (good morning all dear friends)

दोड़ स्थल पर प्रतिदिन की भांति आज भी समय पर पहूंच गया था ,पर आज कुछ हमेंशा की तरह वहां कुछ नजारा अलग दिख रहा था, मैं वहां पहूंचा तो बीन मौसम के बादल से हल्की हल्की बूंदे गिर रही थी ,वैसे ही सर्दी के मौसम ठंडी लग रही थी उपर से ये बीन मौसम बादल होने से बहुत ही ज्यादा ठंड लग लगने लगी है।

 वहां के नजारे में कुछ और भी मनमोहक लग रहा था ,वहां ओस की बूंदे व हल्के बरसात की बूंदो  से घास पर टीकी पानी बूंदें मोतियों की तरह चमक रही थी मन को मोहित करती बूंदे ने Good morning की ताजगी को और आनंदित कर दिया।

 मैंने मेरी दोड़ उस ठंड के मौसम भी निरन्तर रखने के लिए दोड़ लगाना प्रारंभ किया ,दोड़ते दोड़ते मेरे प्रतिदिन वाले स्थान जहां 1 कि.मी. का रोड़ पर लगा शिला का निशान तक पहूंच जाता हूं,सांस फूल जाती है शरीर में गर्मी सी आ जाती है ,फिर धीरे धीरे दोड़ने गति कम करता हूं,अन्तिम जगह पहूंच जाता हूं।

 फिर प्रतिदिन की भांति वहां से वापस पैदल चलते हुए धीरे धीरे घर की ओर पहूंचता हूं।घर से तैयार होकर ऑफिस के लिए निकलता हूं। 

good morning friends(घर से निकलने के पश्चात रास्ते की घटना 

रास्ते में कुछ कार्य से रोड़ के पास गाड़ी रोकना हुई, तो जैसी ही गाड़ी रोकी मेरी नजर वहां एक अमरूद के पेड़ पर गई, जिसके फल लग रहे थे,उसके पास में ही एक अमरूद का पेड़ कटा हुआ दिखा कुछ समय हो गया होगा जिसके कारण वापस उसने फूटन ले रखी थी,ये देख कर मेरे मन में सुबह सुबह उस ठंडी में जीवन की एक सिख मिली ,जब हम किसी पेड़ को काटते हैं ,हमारे उपयोग के लिए हम फल तोड़ते समय लाठी डंडो से पत्थर मारकर फल गिराने का प्रयास करते हैं,फिर भी कभी वृक्ष ने ये नहीं कहा के मुझ पर इतना झूल्म क्यों हो रहा है,मैं तो आपको फल देता हूं फिर भी ऐसा क्यों?

साथ में  जो फूटन होते पौधे को देखा तो विचार आया कटने के बाद भी यह दूसरों को फल देने के लिए फिर से तैयार होने लगा है।मैंने सोचा जब ये पेड़ होकर इतना कर सकता है मैं क्यों नहीं? यह परोपकार के लिए जी रहा है जिसकी कोई ईच्छाए, कोई मांगे नहीं कोई ख्वाईश नहीं है फिर भी ये दूसरे के लिए फल दे रहा कटने के बाद भी फिर से फूटन करके परोपकार के लिए तैयार है ,फिर मैं तो इंसान हूं,मैं क्यों नहीं कर सकता हूं।

फिर मन में विचार आया कि इंसान कितना स्वार्थी हो गया है,जो स्वयं के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है,वो स्वयं को संभालने के अलावा कुछ नहीं कर रहा है,देश में ऐसे कितने ही लोग है जिन्हें सहारे की जरुरत है उन लोगों की वृक्ष की भांती बीना कुछ मांगे या लिए उनकी सेवा करना चाहिए,परोपकार सबसे बड़ा धर्म या कर्तव्य है ,जिसे मनुष्य को निभाना चाहिए।

इस प्रकार आज सुबह की उस प्यारी सी मुस्कान के कारण दिन की शुरुआत ने पुरा दिन खुबसूरत बना दिया। 

 ऑफिस के पश्चात 

ऑफिस का समय पूर्ण होने पर फिर में घर की ओर निकलजाता हूं,फिर मौसम बिगड़ा हुआ होने के कारण बरसात की फिर फूंआर सी आने लगी है ,हल्की बून्दा बांदी इस सर्दी के मौसम में शरीर को बहुच ज्यादा ठंडी लग रही थी ,धीरे धीरे बूंदे के बीच शाम को शरद ऋतु में घर पहूंचना हुआ।
इस प्रकार आज की दिनचर्या कुछ नयी सिख के साथ समाप्त हुई।


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