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दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए| Do Dilon Ka rishta

 दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है।  दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।

असफलता क्या होती है ? उससे हम कैसे सिख ले सकते हैं?

 असफलता हार नहीं ,नये युग की शुरुआत है?

जीवन के हर रास्ते पर ठोकर खाते हैं,जब भी हम अपनी राह बनाना चाहते हैं,हमारी राह में रोढ़े आते रहते हैं।जब हम उनसे निराश होकर उस कार्य को करना छोड़ देते हैं तब उसे असफलता कहते हैं।

        परन्तु जब हम सिख लेने के लिए किसी से सलाह या मशवराह करते हैं तो वो हमें सही सिख दे रहा होता है ये जरुरी नहीं है।जब हम अपनी जिंदगी कभी किसी असफलता से सिख लेकर ये निश्चय करते हैं कि मैं ऐसी गलती अब नहीं करुंगा ,व दोबारा पुन: प्रयास करते हैं तो हमारे जीवन में सफलता जरुर मिलती है ।

असफलता ही सफलता की कुंजी है।

जीवन में व्यक्ति या तो सफलता हासिल करते है,या फिर असफल होते हैं।जब हम किसी कार्य के प्रति अपना कर्तव्य करते रहते हैं,उसका प्रतिफल वैसा हमें नहीं मिलता है जिससे हम निराश हो जाते हैं,और हमें असफलता मिलती है,उसके साथ ही हमें ये भी सिख मिलती है कि हमने किस प्रकार से कर्तव्य का निर्वहन किया है।जिसका परिणाम ऐसा आया है ,उस को पुन: हम सुधारने का प्रयास करते हैं,जिसे हम सुधारने का प्रयास करते है वही इस असफलता की कुंजी है। असफलता इंसान के जहन में या तो निराशा लाती है या फिर सिख दे जाती है।असलिए हमें कुछ सिख लेनी चाहिए। जो सिख हमें सफलता की ओर ले जा सकती है।

असफलता से निराशा क्यों ?निराकरण क्या है?

जीवन में हर व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं,वह निराश हो जाते हैं।निराशा आपके सोचने समझने की क्षमता को कमजोर कर देता है।जिससे आप के अन्दर की ताकत समाप्त होने सी लगती है।अपने कार्य करने की क्षमता में कमी आ जाती है। इतने सारे आपके शरीर में बदलाव आने लगते हैं,तो हमें ऐसा क्यों करना चाहिए। हमें जीवन में किसी भी प्रकार की समस्याओं से निराश नहीं होना चाहिए।असफलता से निराशा नहीं सिख लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
          असफलता से निराशा के निराकरण के लिए हमारे मन में दृढ़ संकल्प के साथ कार्य करते रहना चाहिए,जिससे हमारे मन में किसी प्रकार का नकारात्मक विचार नहीं आते हैं। असफलता से निराश ना हो उसके लिए कार्य के प्रति जिम्मेदार रहकर कार्य करते रहना चाहिए।जिससे आपके कार्य में बढ़ोतरी होती रहती है।जिससे आप निराश नहीं होते है।

 असफलता ही सफलता का राज है।

प्रत्येक सफल लोगों की सफलता की कहानियों में असफलता का जिक्र अवश्य पढ़ियेगा,जिसमें बताया जाता है प्रत्येक व्यक्ति सफलता के पूर्व असफल हुआ है।जिसने असफल होने पर कार्य को छोड़ दिया है जीवन में वही रुक गया और असफलता का मुंह देखना पढ़ा ,जो असफल होकर भी फिर से खड़ा होकर उस कार्य को शुरु किया है ,पुन: वह अपने कार्य के लिए तैयार होकर सफलता की ओर बढ़ चला है।इसलिए कहा असफलता ही सफलता का राज है।

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