बिजनेस प्लान कैसे बनाए Businesses प्लान बनाने से पहले कुछ बातों का हमे विशेष खयाल रखना चाहिए- सर्वप्रथम तो ये देखना है हम पहले से अगर कुछ छोटा मोटा काम कर रहे है या जैसा भी व्यवसाय कर रहे है, उस बिजनेस ( Bussiness) को बेहतर कैसे बना कते है यानी जो हम कर रहे है उसमे अच्छी सफ़लता क्यों नही मिल रही है हम गलती कहा कर रहे है ये देखना बहुत जरूरी है। एक सबसे बडी बात ये भी आपके व्यवसाय में जब भी आप शुरू करते है उसके आय व्यय का हिसाब आपके पास होना चाहिए,यानी की ये देखना जरुरी है कि आप ने कितने फायदा कमाया या कितना नुकसान गया, कितना उसपर खर्च आया और कितना लास्ट में बचा है,ये देखना बहुत जरुरी है। जिस काम को कर रहे हो या शुरू करना चाहते हो उसमे ये देखना आवश्यक है की उसे हम दुसरे से बेहतर या दूसरों से अलग कैसे कर सकते है या ग्राहक के समक्ष प्रस्तुत कैसे कर सकते है जिससे वो दूसरों से अलग दिखे। व्यवसाय शुरू करने की लिए निजी भवन या बिल्डिंग की जरूरत नही होती है, आप इसके किराए में ही वहा बेहतर कर सकते हो इसलिए ये विचार ना लाए की मेरे पास अच्छी बिल्डिंग नहीं है। बिजनेस ( Bussiness) हमेशा 1000 दिन म
Attitude | नजरिया क्या होता है ?
नजरिया हमारी सोच पर निर्भर करता है हम कैसा सोच सकते हैं,हमारे सोचने का दायरा कितना हैं।हम किसी वस्तु या प्लान के बारे में किस प्रकार से या किस नजरिये से सोचकर समझते हैं और उसके बारे में जानकारी दे सकते हैं।यह सब हमारी सोचने समझने की क्षमता पर निर्भर करता है।हम कभी भी कही किसी साक्षात्कार या किसी अन्य जगह कार्य के लिए जाते हैं तो हमें हमेंशा हमारे सोच के दायरे को बढ़ा रखकर शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।ताकि सामने वाले का आसानी से हमारी सोच का पता चल सके।हमारे सोचने का नजरिया कैसा है सामने वाले को आसानी से पता चल सके।
Attitude | नजरिया कैसा होना चाहिए?
हम जितना उच्च व बढ़ा सोचेंगे हमारे सोचने का नजरिया भी वैसा ही बढ़ा होगा। हमारी सोच के दायरे को हमें इतना बढ़ा रखना चाहिए कि सामने वाला आपकी सोच तक पहूंच ही नहीं सके।जब तक हम बढ़ा सोचेंगे नहीं तब तक हम कुछ बढ़ा कर नहीं सकते हैं,क्योंकि हमारे सोचने का दायरा या नजरिया सिमित हो जाता है।जब भी हम हमारा दायरा बढ़ायेंगे हमारी सफलता के उतने ही तंत्र खुलते जायेंगे।हम सफलता की सीढ़ीयों पर चढ़ते जायेंगे।
Attitude | नजरिया व्यक्ति को कहा तक ले सकता है?
आपके सोचने के तरिके से आप शीर्ष बुलंदी पर पहूंच सकते हैं।वो सिर्फ आपके सोचने के ऊपर निर्भर करता है।मानलेते हैं कि एक पानी का खाली गिलास लेते हैं।उसमें आधा पानी भर लेते व आधा खाली रख लेते हैं।अब आपकी सोच क्या कहती है कि गिलास आधा भरा हुआ है और मेरी सोच यह कहती है कि गिलास पुरा भरा हुआ है क्योंकि सामने वाले ने यह नहीं कहा है कि पानी कितना भरा है ,सिर्फ ये जवाब दिया है कि गिलास कितना भरा है।अब आपके सोचने के नजरिये पर निर्भर करता है आप उस गिलास का आधा भरा बता सकते है कि पूरा भरा हुआ।
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