बिजनेस प्लान कैसे बनाए Businesses प्लान बनाने से पहले कुछ बातों का हमे विशेष खयाल रखना चाहिए- सर्वप्रथम तो ये देखना है हम पहले से अगर कुछ छोटा मोटा काम कर रहे है या जैसा भी व्यवसाय कर रहे है, उस बिजनेस ( Bussiness) को बेहतर कैसे बना कते है यानी जो हम कर रहे है उसमे अच्छी सफ़लता क्यों नही मिल रही है हम गलती कहा कर रहे है ये देखना बहुत जरूरी है। एक सबसे बडी बात ये भी आपके व्यवसाय में जब भी आप शुरू करते है उसके आय व्यय का हिसाब आपके पास होना चाहिए,यानी की ये देखना जरुरी है कि आप ने कितने फायदा कमाया या कितना नुकसान गया, कितना उसपर खर्च आया और कितना लास्ट में बचा है,ये देखना बहुत जरुरी है। जिस काम को कर रहे हो या शुरू करना चाहते हो उसमे ये देखना आवश्यक है की उसे हम दुसरे से बेहतर या दूसरों से अलग कैसे कर सकते है या ग्राहक के समक्ष प्रस्तुत कैसे कर सकते है जिससे वो दूसरों से अलग दिखे। व्यवसाय शुरू करने की लिए निजी भवन या बिल्डिंग की जरूरत नही होती है, आप इसके किराए में ही वहा बेहतर कर सकते हो इसलिए ये विचार ना लाए की मेरे पास अच्छी बिल्डिंग नहीं है। बिजनेस ( Bussiness) हमेशा 1000 दिन म
बालकों का सर्वांगीण विकास कैसे करें ?
बालक एक मिट्टी के बर्तन की भांति होता है ।इन्हें हम जैसा ढालना चाहते वैसा वो बन जाते हैं। हमें बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए इन्हें मानसिक रुप से, बौद्धिक रुप से व शारिरीक रुप से तैयार करना चाहिए। ताकि वह हर विद्या में निपूण रहे। बालकों के सर्वांगीण विकास के लिए अभिभावक या पालक गण व विद्यालय के शिक्षकों का महत्व पूर्ण योग दान रहता है। विद्यालय में शिक्षक के पास बालक छ: से सात घण्टे रहता है बाकि अधिक समय बालक का घर पर ही रहता है। इसलिए पालक लोगों का भी बच्चे के भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। बच्चे का भविष्य पालक व शिक्षक के कार्य के ऊपर निर्भर रहता है।
बालक के सर्वांगीण विकास में शिक्षक की भूमिका || Shikshak ki Bhumika
बालक का विकास शिक्षक के हाथों तय होता है ।शिक्षक वह धूरी है जिस पर बालक का भविष्य टीका हुआ है।जिस ओर शिक्षक बालक को ले जाना चाहता है।उस दिशा में ले जा सकते हैं।बौद्धिक विकास व मानसिक विकास व शारीरिक विकास तीनों कलाओं में बच्चों को परिपूर्ण करना ये शिक्षक के उपर निर्भर करता है। बच्चों के भविष्य का निर्धारण शिक्षक अपनी पूरी मेहनत जी जान बच्चों के भविष्य निर्माण में लगा देते हैं।
बालक के सर्वांगीण विकास में पालक की सहभागिता
अभिभावक सहभागीता या ऐसा कह सकते हैं कि हमें बच्चों के विकास के लिए या उसके गुणों में परिवर्तन के लिए पूरा पूरा योगदान माता पिता का होता है। क्योंकि बच्चा झूठ बोलना या तो परिवार के माहौल से सिखता या डर के कारण या एक बार किसी चिज के लालच या ऐसा कार्य उसके झूठ से हो जाता जिससे बालक को मजा आता है तो बच्चे में ये प्रवृत्ति अपने पैर जमाना बालक के भीतर प्रारंभ कर देती है।इसलिए अभिभावक को चाहिए कि बच्चों के सामने कभी झूठ ना बोलकर बच्चों को भी ऐसा नहीं करने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए।
Comments
Post a Comment