दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
भरोसे की कहानी ||हमें भरोसा किस पर करना चाहिए। विश्वास से जुड़ी कहानी
बहुत समय बाद मैं अपने मित्र राकेश के घर पहूंचा था ,मित्र तो मित्र होते हैं जैसे मैं घर पर पहूंचता हूँ खुशी के मारे दोड़ता हुआ आता है। और हाथ मिलाता है ,जिस पर मैं भी बढ़ा प्रसन्न होता हूं।मैं मित्र के घर पहूंचता हूं तो बहुत समय बाद मिलना होता है तो ऐसे कैसे आने देता दोस्त को तो हम चाय पिलाता है और फिर घर पर संयोग से कार्यालय का अवकाश होने पर दोस्त की माता जी घर पर ही रुकी हुई थी तो उन्होंने शाम का टाईम होने को था तो दोनो के लिए खाना बनाने के लिए कहकर वो किचन की ओर चली जाती है।
मित्र के पिता जी आगमन
मित्र राकेश के पिताजी आ जात् हैं शाम का समय था तो क्योंकि राकेश और मुझे बाते करते करते दिन भर हो गया था ।
खाना तैयार हो जाता है।
राकेश और मैं व राकेश के पिताजी साथ में खाना खाते हैं,बातचित बढ़ती जाती है जिसके परिणाम स्वरुप मित्र तो मित्र था वह मेरा जाना किसी कारण को प्रदर्शित कर रहा था।और मैं भी हमेंशा की तरह बीना वजह कभी मित्र के घर पर नहीं जाता था। मेरा जो कार्य था उसकी मुझे मेरे मित्र पर पुरा भरोसा था के वो मेरा कार्य अवश्य पुरा करेगा। इतने में पिताजी चले जाते हैं मेरे भी घर जाने का समय हो जाता है पर मित्र को कैसे कहूं के तेरी सहायता की जरुरत है वो पैसे की जो हर कोई आसानी से किसी करता नहीं है।आखिर मित्र था मेरा राकेश मेरे चेहरे को देखकर आसानी से समझ गया था कि मैं कुछ कहना चाह रहा हूं तो मित्र ने आगे रहकर पूछ लिया है क्यों कुछ कहना चाहते हो किसी चिज की आवश्यकता या सहायता की जरूरत हो तो अवश्य बताओ ।
जैसे ही मैंने मेरे मन की बात मेरे मित्र को बताई मित्र ने सहर्ष मेरी बात स्वीकार कर ली व मेरी सहायता करी।
मित्रों जीवन में भरोसा उसी पप करिये जो मुसिबत में आपके साथ खड़ा हो जाये ।क्योंकि दुनिया स्वार्थ से भरी पड़ी है। हमें भरोसमंद लोगो की पहचान करके ही भरोसा करना चाहिए।
वहां से निकलते हैं अधेरा होते होते मैं घर की निकला व अंधेरा होने तक मैं अपने घर पर पहूंच जाता हूं।माता जी व पिताजी मेरी राह देख रहे थे ।मैं जैसे उनके पास पहूंचता हूं वो खुश हो जाते हैं क्योंकि वो पैसे सुबह मैं किसी कर्जदार को देने थे क्योंकि उन्होने उन से पैसे लेकर मेरी पढ़ाई पुरी करवाई थी। हम सब आराम से सो जाते हैं।
सुबह हो जाती है ।
सुबह जब हम सब उठ जात् है तत्पश्चात उस व्यक्ति को जाकर पिताजी के साथ पैसे देकर आ जाते हैं।पैसा पाने पर सामने वाला खुश हो जाता है पैसे देकर पिताजी खुश हो जाते है व पिताजी को देखकर मैं खुश हो गया हूं।ये थी मेरी भरोसे की कहानी जो आप सब तक शेयर कर रहा हूं।
अच्छी लगे को कमेंट करके जरुर बताईये।
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