जल ही जीवन है।
जल ही जीवन का आधार है। जल के बीना सबकुछ अधुरा है, क्योंकि जल ही है जो सम्पूर्ण सृष्टि पर मानव जाति व सभी जीव जन्तुओं को जीवित रखने में सहायक है। जल के बीना जिवित रहना अत्यन्त मुश्किल कार्य है।हमारी पृथ्वी पर लगभग 71% ही पानी भरा हुआ है । 29% प्रतिशत जमीन है जिसमें वन सम्पदा से लेकर प्रत्येक प्रकार की भूमि आ गयी है। जल के बीना व्यक्ति के जीवन की शुरुआत नहीं होती है इसलिए कहा गया है कि जल ही जीवन है।
जल व्यक्ति की आधार भूत आवश्यकता है जिसके बीना उसका जीवन ही पूर्ण नहीं हो सकता है।इस लिए जल का दुरुपयोग नहीं करते हुए अनावश्यक रुप से पानी का अपव्यय नहीं करना चाहिए।
जल की उपयोगिता का महत्व
जल का महत्व तो नाम सुनते ही समझ आ जाता है कि जल कितना महत्वपूर्ण है।फिर भी इसका उपयोग के बारे में कहे तो सुबह चाय पीने से प्रारंभ करते है तो मुंह धोने व ब्रश करने तक इसका उपयोग से लेकर नहाना शौचालय व खाना बनाने से लेकर शाम के सोने समय तक पानी की दिन भर आवश्यकता रहता है क्योंकि पानी के बीना सबकुछ अधुरा रहता है।पानी ही है जो जीवन के कार्य में उपयोग में लाया जाता है। पानी की अत्यधिक उपयोगीता ही हमारे जीवन में जल की महत्ता बताती है।
जल का खेती में उपयोग
जल का प्रयोग खेती में खेती प्रारंभ करने से लेकर अन्तिम फसल पक नहीं जाती है वहां तक उसकी उपयोगीता होती रहती है।जल खेती प्रारंभ करने के पूर्ण व या बीज बोने के बाद खेत में सिंचाई की जाती है।जिसके माध्यम से फसल को पर्याप्त पानी मिलता है व फसल का अंकुरण प्रारंभ होता है।जब तक पानी किसी बीज के सम्पर्क में नहीं आयेगा ।तब तक बीज का अंकुरण नहीं होता है ।इसलिए फसल उगाने के लिए या खेती करने के लिए जल की बहुत आवश्यकता होती है। जल के अभाव में हम खेती नहीं कर सकते है ।अत: जहां अधिक पानी या पर्याप्त पानी सिंचाई के लिए होता है वही पर फसल बोई जाती है।
जल (पानी) का संरक्षण कैसे कर सकते है?
जल का संरक्षण करने के लिए बरसात में गिरने वाले बरसात के पानी को एक जगह वाटर हार्वेस्टिंग या अन्य विधि से एकत्रित करके जल को संरक्षित किया जा सकता है।जल को एकत्रित करने के लिए स्टॉप डेम व तालाब इत्यादि बनाकर भी हम जल को संरक्षित कर सकते है। जल का अपव्यय कम करके भी हम जल को बचा सकते हैं। बरसात के पानी की दिशा जहां स्टॉप डेम इत्यादि बने हुए हो उस ओर मोड़ देना चाहिए जिससे जल को संरक्षणित किया जा सकता है। जल के बचाव के लिए आम आदमी को इसके प्रति जागरुक करना पढ़ेगा,जल संरक्षण हेतु बहुत सी सामाजिक संस्थाएं भी इसके लिए जनजाग्रति का कार्य करती है हमें उनका सहयोग करना चाहिए।
जल का घरेलू उपयोग क्या है?
जल का घरेलू उपयोग भी अत्यधिक होता है। जब गृहणिया सुबह उठती है दूध में पानी मिलाकर चाय बनाती है ।जल के उपयोग की शुरुआत यहा से हो जाती है। सब्जियों को साफ करने या धोने के लिए व बनाने के लिए जल का उपयोग होता है। खाना बनाने के लिए व बर्तन को साफ करने के लिए कपड़े धोने का लिए भी जल की आवश्यकता होती है। घर के अधिकांश सामग्री वाशिंग मशीन ,कुलर में पानी डालने के लिए भी जल का उपयोग किया जाता है।जल घरेलू उपयोग भी अत्यधिक होता है।
जल दूषित कैसे होता है ?
जल को दूषित करने के लिए घरों से निकला गंदा पानी व कारखानों से निकला अपशिष्ट को नदी नालों में मिलाने से जल दूषित हो जाता है।तालाबों नदी नालों में कपड़े धोने व जानवरों को नहलाने से भी तालाबों का पानी गंदा हो जाता है।जिसके जिसके कारण उसमें धीरे धीरे दूषित जल की मात्रा बढ़ने लगती है। जल को दूषित होने से बचाने के लिए पानी को ऐसे स्थान पर नहीं छोड़ना चाहिए।
जल ही जीवन है पर पंक्तियां
जल ही जीवन है इसे हमें बचाना है,
जल के अभाव में हमें है पछताना है।
जीवन का आधार ही जल है,
इसे बचायेंगे तो हमारे उज्जवल कल है।
जल के बीना सबकुछ अधुरा है,
इसलिए जल बचाव करना ही यह लक्ष्य ही हमारा है।
जल के दुरुपयोग को कैसे रोक सकते हैं।
जल की जितनी आवश्यकता हो उतना ही व्यय करना चाहिए
तालाबों आदि में पशुओं को नहीं नहलाना चाहिए।
कारखानों आदि का गंदा पानी नदि नालों में नहीं छोड़ना चाहिए।
इस के रख रखाव या संरक्षण के लिए उचित उपाय करने चाहिए।
जल को जीवन का आधार मानकर कार्य करना चाहिए।
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