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बिजनेस प्लान कैसे बनाए| Bussiness Plan kaise banaye

 बिजनेस प्लान कैसे बनाए Businesses प्लान बनाने से पहले कुछ बातों का हमे विशेष खयाल रखना चाहिए- सर्वप्रथम तो ये देखना है हम पहले से अगर कुछ छोटा मोटा काम कर रहे है या जैसा भी व्यवसाय कर रहे है, उस बिजनेस ( Bussiness) को बेहतर कैसे बना कते है यानी जो हम कर रहे है उसमे अच्छी सफ़लता क्यों नही मिल रही है हम गलती कहा कर रहे है ये देखना बहुत जरूरी है। एक सबसे बडी बात ये भी आपके व्यवसाय में जब भी आप शुरू करते है उसके आय व्यय का हिसाब आपके पास होना चाहिए,यानी की ये देखना जरुरी है कि आप ने कितने फायदा कमाया या कितना नुकसान गया, कितना उसपर खर्च आया और कितना लास्ट में बचा है,ये देखना बहुत जरुरी है। जिस काम को कर रहे हो या शुरू करना चाहते हो उसमे ये देखना आवश्यक है की उसे हम दुसरे से बेहतर या दूसरों से अलग कैसे कर सकते है या ग्राहक के समक्ष प्रस्तुत कैसे कर सकते है जिससे वो दूसरों से अलग दिखे। व्यवसाय शुरू करने की लिए निजी भवन या बिल्डिंग की जरूरत नही होती है, आप इसके किराए में ही वहा बेहतर कर सकते हो इसलिए ये विचार ना लाए की मेरे पास अच्छी बिल्डिंग नहीं है। बिजनेस ( Bussiness) हमेशा 1000 दिन म

यदि परिस्थितियों पर आप की पकड़ मजबूत है तो जहर उगलने वाले || paristhitiyun pr apki majbut pakad

यदि परिस्थितियों पर आपकी पकड़ मजबूत है तो जहर उगलने वाले भी आपका कुछ नहीं कर सकते हैं।

परिस्थितियां व्यक्ति को कुछ अच्छा  करने से रोकती है ।उनसे व्यक्ति विचलित व भ्रमित हो जाता है।इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि आप किसी भी प्रकार की विकट परिस्थितियों में भी डगमगाये  नहीं उसके लिए आपको  मेहनत करते रहना चाहिए चाहे परिस्थिति बिल्कुल आपके विपरित ही क्यों ना हो । परिस्थितियों पर आपकी पकड़ इतनी मजबूत हो जाना चाहिए ताकि कोई  विरोध करने वाला या आपकी स्वयं की स्थितियां ठीक ना होने के कारण भी हम डटकर कार्य कर सके । हमारी मजबूत  इच्छा शक्ति के कारण  हम डटे रहे, इसलिए कहा गया है कि परिस्थितियों पर आपकी पकड़ अगर मजबूत है तो जहर उगलने वाले भी आपका  कुछ नहीं कर सकते हैं। चाहे  वो आपके खिलाफ कितना की कुछ कर लेंगे आपकी परिस्थितियों से आप डगमगायेंगे, नहीं तो आप आसानी से आगे  बढ़ने लगेंगे ।

विपरित परिस्थितियों से संघर्ष कैसे करें? 

मन हमारा जैसा सोचेगा वैसा हमारा शरीर  रिएक्ट करने लगेगा ।हमारे या मस्तिष्क में हमारी परिस्थितियों के प्रति नकारात्मकता आने  लगेगी तो हम वैसे  ही धीरे धीरे कमजोर होने लगेंगे, हमारा दिल व शरीर भी साथ  छोड़ने लगता है हम कमजोर सा अनुभव करने लगते हैं। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए हमारे मन मस्तिष्क को हमें मजबूत करना होगा, जब तक हम हमारे मन मस्तिष्क को मजबूत नहीं करेंगे,तब तक हम विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए मजबूत नहीं होंगे, इसलिए हमें हमेशा सकारात्मक सोच रख कर विपरीत परिस्थितियों का सामना करते रहना चाहिए जिससे हम किसी भी परिस्थिति में आए हम रुके नहीं और निरंतर बढ़ते चलेंगे।

परिस्थितियां कब विपरित होने लगती है ?

विपरीत परिस्थितियों हमारी कार्य योजना से प्रारंभ हो जाती है ,इसका मतलब है मैं जिस कार्य के लिए सोचना प्रारंभ किया है, तब तक हमें उस समय कुछ अलग सोच रख कर उस कार्य योजना को पहले ही वैसा तय करना था, हमें हमारी परिस्थिति के बारे में उस समय जानकारी अवश्य ले लेना चाहिए थी कि हमारे इस कार्य में आने वाले भविष्य में किस प्रकार की परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती है,  अगर हमें पहले से ज्ञात होगा तो हम उन परिस्थितियों से निपटने के लिए अगर हम पहले से प्लानिंग करी हुई परिस्थितियों में भी अगर बदलाव होता है तो हमें उनसे निपटने के लिए स्वयं बनाए रखना होता है ,अगर हमारे आत्मविश्वास में कमी आती है तो उन परिस्थितियों से निपटने के लिए समस्या आ सकती है । इसलिए हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ किसी भी विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए यह परिस्थितियां हमारी योजना, आर्थिक रूप समय का सदुपयोग, लापरवाही आदि कार्यों से उत्पन्न हो सकती है, इसलिए हमें इन सब बातों का ध्यान रखते हुए किसी भी कार्य को हमें आगे करते रहना चाहिए।

परिस्थितियां विपरित होने के कारण क्या है ?

  1. समय का दुरुपयोग करने पर विपरित परिस्थितियों उत्पन्न हो सकती है।
  2. अगर हम कार्य के प्रति जिम्मेदार नहीं रहते हैं तो हमारी परिस्थितियां विपरित हो सकती है।
  3. हमें संयम बरतना सीखना होगा क्योंकि हम अगर जल्दी करेंगे या जल्दबाजी करेंगे ,तो हमारे कार्य में लापरवाही होगी, कार्य में लापरवाही होने से भी हम जो है उस कार्य को विपरित दिशा में लेते जाएंगे और हमारी परिस्थितियां विपरीत होने लग जाएगी।
  4. सही मैनेजमेंट की कमी अगर होगी तो हमारे व्यवसाय में परिस्थितियां विपरित ही आएगी।
  5. कर्मचारियों व स्वयं का अनुशासन आपके कार्य को गति प्रदान करेगा ,अगर अनुशासन की कमी होगी तो आपके कार्य में परिस्थितियां विपरित होने लग जाएगी।

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