दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
गुड़ी पड़वा पर्व पर कुछ विशेष
गुड़ी पड़वा पर्व को भारत में मनाया जाता है।इस पर्व को मनाने के अलग अलग तर्क लोग बताते हैं। महाराष्ट्र राज्य में इस पर्व के मनाने का कारण मराठा शासक छत्रपति शिवाजी ने युद्ध जितने के बाद सबसे पहले यही त्यौहार मनाया था। इस कारण से इस दिन यह त्यौहार मनाया जाता है।साथ ही भारतीय पौराणिक कथाओं के आधार पर यह भगवान राम के द्वारा रावण पर विजय होकर राम के राज्याभिषेक की खुशी में मनाया गया था तभी से इसे मनाया जाने लगा है।
Happy Gudi Padwa my love special
गुडि पड़वा पर स्पेशल बधाई संदेश
जब जब दिन ये ऐसा आयेगा ,हम जीवन में चाहेंगे ये बार बार ही आयेगा। हे! प्रिये जब भी असत्य पर सत्य की विजय की बात आयेगी,मैं हमेंशा तूझे जीत पर ऐसे ही बधाई देता रहूंगा,क्योंकि में जीवन पर्यन्त इस जित पर खिलता मुस्कुराता रहूंगा।
जब भी आती है याद तेरी वैसे ही मैं इसे याद रखूंगा, हे! प्रिये जब भी खिलखिलाती है तू उसी तरह इसे भी जगमगाऊंगा।
जैसे तेरे आने पर मैं खुशियों से झूम जाता हूं। हे! प्रिये ये गुड़ी पड़वा आते ही हम सब भी हर्षौल्लास के साथ रैली ,बाजे के साथ झूम जाते हैं।
गुड़ी पड़वा पर्व कब मनाया जाता है?
गुड़ी पड़वा पर्व चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवरात्रि में 2 अप्रेल को मनाया जाता है ? इस दिन हिन्दू धर्म के अनुयायीयों द्वारा रैली व जूलुस का आयोजन किया जाता है।
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