दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
रिश्ते निभाने का आसान तरिके
- हमेंशा जब भी कुछ ऐसी बात होती हे जिससे एक दूसरे में बहस की स्थिति पैदा हो तो हमें हमेंशा समाने वाले की भावना समझ कर उसे अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए।
- हमेंशा हमें अच्छा लगे वो करना चाहिए परन्तु कुछ वो भी हमें करना चाहिए जिससे सामने वाले को पसंद है ।
- विचारों में मन भेद नहीं होना चाहिए, मतभेद होंगे चलेंगे परन्तु मनभेद होगा तो हम ज्यादा समय तक रिश्ते को मजबूत नहीं रख सकेंगे।
- हमेंशा भरोसा ना करना भी रिश्तों में दरार पैदा करते हैं। रिश्ते विश्वास से जुड़ते हैं। विश्वास पर ही सब टीका है,जिसके परिणाम स्वरुप हमारे रिश्ते मजबूत होते हैं।
- रिश्ते जीवन में बहुत मुश्किल से बनते है ,जोड़ने में उम्र लग जायेगी,पर तोड़ने पर समय नी लगता है।
- रिश्ते मजबूत रहने से परिवार जूड़ते है ।
Comments
Post a Comment