सच्चा प्रेम कैसा होता है प्रेम को अगर देखा जाए तो वास्तविकता में उसे कोई परिभाषित नहीं कर सकते है, प्रेम एक ऐसा एहसास और अटूट बंधन है अगर सच्चा और दिल से किया गया प्रेम हो तो वो कभी खत्म नहीं होता है। बहुत सारे लोग कहते है या सोचते है कि प्रेम था पर अब उससे नफरत होने लगी है, अब में उसकी शकल भी नहीं देखना चाहते है, असल में वो प्रेम था ही नहीं, जिसके बारे में सोचकर या उसे देखकर नफरत होने लगे या उसकी गलती के कारण भी नफरत होती है तो असल जिन्दगी में वो प्रेम था ही नहीं, जहां प्रेम होता है वहां ऐसे विचार ये शब्द ही नहीं होते है। इसलिए सच्चा प्रेम जीवन पर्यंत रहता है , जो अलग होने पर भी नफरत नहीं बस प्रेम दिखता है। प्रेम एक अटूट बंधन होता है। प्रेम कभी भी कुछ घंटे या कुछ दिन या फिर कुछ सालों का रिश्ता या एहसास नहीं होता है,ये हमेशा के लिए शारीरिक इच्छा की पूर्ति के लिए नहीं वरन जिसको महसूस किए जाने वाले रिश्ते में बंधा हुआ एक प्यारा सा एहसास है। ये टूटने या कम होने जैसा बंधन या रिश्ता या एहसास नहीं है। मेरे हिसाब से प्रेम को परिभाषित ही नहीं किया जा सकता है, क्...
रिश्ते निभाने का आसान तरिके
- हमेंशा जब भी कुछ ऐसी बात होती हे जिससे एक दूसरे में बहस की स्थिति पैदा हो तो हमें हमेंशा समाने वाले की भावना समझ कर उसे अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए।
- हमेंशा हमें अच्छा लगे वो करना चाहिए परन्तु कुछ वो भी हमें करना चाहिए जिससे सामने वाले को पसंद है ।
- विचारों में मन भेद नहीं होना चाहिए, मतभेद होंगे चलेंगे परन्तु मनभेद होगा तो हम ज्यादा समय तक रिश्ते को मजबूत नहीं रख सकेंगे।
- हमेंशा भरोसा ना करना भी रिश्तों में दरार पैदा करते हैं। रिश्ते विश्वास से जुड़ते हैं। विश्वास पर ही सब टीका है,जिसके परिणाम स्वरुप हमारे रिश्ते मजबूत होते हैं।
- रिश्ते जीवन में बहुत मुश्किल से बनते है ,जोड़ने में उम्र लग जायेगी,पर तोड़ने पर समय नी लगता है।
- रिश्ते मजबूत रहने से परिवार जूड़ते है ।
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