खुद को नियंत्रित कैसे रख सकते है | जीवन में हम हमेशा किसी कार्य को लेकर या कुछ ऐसा हमारे साथ गठित हो जाता है जिससे हम स्वयं को नियंत्रित नही कर पाते है | हम ऐसे परिस्थिति में कुछ गलत कदम उठा लेते है ऐसे में हमे क्या करना चाहिए | उसके लिए हम कुछ टिप्स आपसे शेयर करेंगे | हमे हमारी मनः स्थति को सय्यमित रखने के लिए हमे सबसे पहले धैर्य रखना चाहिए | धैर्य आपकी उस स्थति के परिणाम को कुछ अच्छी जगह पर ही लेकर ही जायेगा | इसलिए जब भी कुछ ऐसी विपरीत परिस्थितियां बनती है उसमे हमे घबराना नहीं चाहिए | हड़बड़ाहट में हम हमेशा कुछ न कुछ गलती कर बैठते है | इसलिए कुछ भी ऐसा होने पर या तो क्रोध को स्वयं पर हावी न होने दे या दुःख की परिस्थिति बनती है तो स्वयं को ऐसा फील होने से रोके की में अंदर से टूट चूका हु या अब में कुछ नहीं कर सकता हूँ | हमारे मन में उस कमी को जिसे हम पाना चाहते है या किसी चीज जिसे हमे पाने क लिए प्रयास किया था उसके खोने या कम होने पर मन में ये विचार लाना चाहिए की जो गया हे शायद वो हमारे लिए ठीक नहीं था मुझे जिंदगी उससे भी कुछ अच्छा देने जा रही है इसी लि
कर्म क्या होते है ?
जब हम किसी व्यक्ति का बुरा या अच्छा करते है यह हमारे कर्म होते है? महत्वपूर्ण यह होता है कि हमें किस प्रकार क कर्म करने चाहिए| जिससे हमें जीवन में किसी प्रकार से कोई समस्या पैदा ना हो|
हमारे जीवन का उद्देश्य निरंतर प्रगति करना होता है,परन्तु हमारी प्रगति या हमारे कार्य या कर्म से किसी के मन को ठेस पहुँचती है तो वह हमारे अच्छे कर्म नहीं है| हमारे जो कार्य किसी ठेस पहुंचा रहा है तो इसका मतलब है हम कुछ गलत कार्य कर रहे है| गलत कार्य का नतीजा गलत ही होता है फिर हम प्रगति कैसे क्र सकते है| इसलिए हमें हमेशा अच्छे कार्य करते रहना चाहिए|
कर्म की परिभाषा क्या है ?
मेरे अनुसार कर्म की परिभाषा तो यही होगी कि किसी का मन दुखी करके किया हुआ कर्म अभिशाप रहता है| ठीक जब हम किसी की दुआओ के साथ कार्य को पूर्ण करेंगे तो हमे कार्य या व्यवसाय या जो भी कर्म हम कर रहे है उसमे सफलता तो मिलेगी ही सही साथ में दुआए भी मिलेगी जिसे हम विश्वास के साथ व्यवसाय भी कर सकेंगे |
कर्म ही पूजा कैसे है ?
कर्म ही पूजा है से तात्पर्य यह होता है कि जब व्यक्ति कर्म करना प्रारम्भ करता है और उसे सफलता मिलती है तो उसकी पूजा होने लगती हे यानि सम्मान सब बढ़ जाता है ,उसकी पूछ परख होने लगती है| यानि सबकुछ संभव है सिर्फ और सिर्फ कर्म की वजह से इसलिए कहा जाता है की कर्म ही पूजा है |
Comments
Post a Comment