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दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए| Do Dilon Ka rishta

 दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है।  दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।

सेमिनार क्या होता है? Seminar Kya Hora H ?

 सेमिनार क्या होता है ?

एक ऐसे अनुभवी व्यक्ति या व्यक्तियों के समुह द्वारा ऐसा आयोजन जिसमें किसी एक विषय को लेकर बुलाये गये व्यक्ति को उस विषय की समझ करवाने का कार्य जिस जगह होता है उसे सेमिनार कहा जाता है। जैसे आप एक विद्यार्थी हो और आपको आपके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए एक आयोजन किसी व्यक्ति विशेष या संस्था के द्वारा रखा जाता है जिसमें अच्छे व्यक्ति को बुलाकर आपको भविष्य कैसे उज्जवल किया ये जानकारी दी जाती है तो इस पुरे आयोजन को ही सेमिनार कहा जाता है। सेमिनार में आप अच्छा सिख सकते हैं।जिससे आप जिस क्षेत्र में कार्य रत है उस क्षेत्र में बेहतर करने की ऊर्जा आपको मिल जाती है।

सेमिनार के लाभ क्या है ?

सेमिनार के बहुत सारे लाभ होते हैं।
1. सेमिनार में जाने से हमारे अन्दर ऊर्जा का संचार होता है।
2. सेमिनार आपके सभी संशय को दूर कर देता है।
3. इसके माध्यम से आपके भविष्य के कार्य की राह आसान हो जाती है।
4. यह आपके जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं।
5. जो जीवन में असंभव रहता है उसे संभव बनाया जा सकता हैै।

सेमिनार का महत्व 


सेमिनार में हमारी उपस्थिति होने के कारण हम इतना कुछ सिख जाते हैं जितना हम सोच नहीं सकते है ।इसलिए जीवन के लिए यह बहुत की महत्वपूर्ण है। सेमिनार का अपना एक महत्व होता है जिस प्रकार से बीना चार्ज किये मोबाईल नहीं चल सकता है,बीना खाना खाये इंसान काम नहीं कर सकता है ठीक वैसे ही किसी कंपनी या भविष्य बनाने के लिए हम बीना सेमिनार के वैसे ही हो जाते है जैसे डिस्चार्ज मोबाइल की तरह हो जाते हैं।

सेमिनार की आवश्यकता क्यों होती है ?

सेमिनार की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई है कि जब किसी कंपनी या वर्कर को प्रत्येक गलती पर हर व्यक्ति को अलग अलग नहीं कहा जा सकता है , इसीलिए एक ही  जगह इकट्ठा करके सबको एक साथ बताना उचित रहता है इसलिए सेमिनार का आयोजन किया जाता है।और अधिक लोगों को एक साथ आसानी से समझाया जा सकता है इसलिए इसकी आवश्यकता पढ़ी।

सेमिनार की विशेषता क्या है ? 

1. सेमिनार में एक साथ बहुत सी संख्या बैठ सकती है।
2. एक व्यक्ति हजारों को समझा सकता है।
3. इसमें ऐसा सिखने को मिलता है, जिससे हम जिस क्षेत्र में कार्य कर रहें हैं उसमें अत्यधिक बेहतर कर सकते हैं।
4.यह बेहतर करने का अच्छा माध्यम है ।
 5. सेमिनार में हमेंशा कुछ नया सिखने को मिलता है।


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