दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
नर्सरी कक्षा को कैसे अच्छे से पढ़ाया जा सकता है ? | Nursury Class Ko Kaise Ache Se Padhaya Ja Sakta h
नर्सरी कक्षा को अच्छे से सीखने का तरीका नर्सरी कक्षा के जो छात्र होते है वो बिलकुल कच्चे मिटटी के बर्तन के समान होते है जिन्हे हम जैसे आकर देना चाहेंगे वो वैसा बन जायेंगे ,इस लिए बढ़ी ही सावधानी से जो बच्चे आपकी कक्षा में पहली बार आ रहे हैं उन्हें आप जब बात करे प्रारम्भ में तो उनसे अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात करे जिससे वो आपको समझ जायेगा या वो आपकी बात समझ जायेगा | जब बच्चा धीरे धीरे आप की बात समझने लग जाये तो फिर धीरे या शुरू से ही जब आता है बड़े ही प्यार से उससे बात करिये ,जब आप बच्चे से प्यार से बात करेंगे तो तोउसके मन बातें आपसे बोलने लगेगा उसके घर पर आज क्या बनाया था या जो चीज आप उससे पूछना चाहोगे वो बताना शुरू कर देगा | नर्सरी के बच्चे को बोलना कैसे सिखाये ? जब बचा आपको जानने लगा है तो उसे बोलना कैसे सीखा सकते है बात वही आती है की वह धीरे धीरे जिस भाषा में आप सिखाने वाले हो वो धीरे धीरे बोलना सिख रहा है अब उससे प्रतिदिन आप बात चित करे और स्पोकन प्रतिदिन क्लास में जो वो आराम से बोल सके वो करवाते रहे | वो धीरे धीरे आपसे बात करना सिख जायेगा |