खुद को नियंत्रित कैसे रख सकते है | जीवन में हम हमेशा किसी कार्य को लेकर या कुछ ऐसा हमारे साथ गठित हो जाता है जिससे हम स्वयं को नियंत्रित नही कर पाते है | हम ऐसे परिस्थिति में कुछ गलत कदम उठा लेते है ऐसे में हमे क्या करना चाहिए | उसके लिए हम कुछ टिप्स आपसे शेयर करेंगे | हमे हमारी मनः स्थति को सय्यमित रखने के लिए हमे सबसे पहले धैर्य रखना चाहिए | धैर्य आपकी उस स्थति के परिणाम को कुछ अच्छी जगह पर ही लेकर ही जायेगा | इसलिए जब भी कुछ ऐसी विपरीत परिस्थितियां बनती है उसमे हमे घबराना नहीं चाहिए | हड़बड़ाहट में हम हमेशा कुछ न कुछ गलती कर बैठते है | इसलिए कुछ भी ऐसा होने पर या तो क्रोध को स्वयं पर हावी न होने दे या दुःख की परिस्थिति बनती है तो स्वयं को ऐसा फील होने से रोके की में अंदर से टूट चूका हु या अब में कुछ नहीं कर सकता हूँ | हमारे मन में उस कमी को जिसे हम पाना चाहते है या किसी चीज जिसे हमे पाने क लिए प्रयास किया था उसके खोने या कम होने पर मन में ये विचार लाना चाहिए की जो गया हे शायद वो हमारे लिए ठीक नहीं था मुझे जिंदगी उससे भी कुछ अच्छा देने जा रही है इसी लि
मुश्किलें आसान करने का बेस्ट तरीका क्या है? जीवन में समस्याए आती रहती है,हमे उनसे निपटे क लिए ज्यादा सोचने या डिफ्रेशन में रहने की आवश्यकता नहीं है| जब भी हमारे सामने मुश्किलें आती है हमे हमेशा डरने की जगह यह चिंतन करना चाहिए की उनसे कैसे निपट सकते है| सीधे तौर पर देखा जाये तो हमे हमेंशा उनके समाधान के बारे में विचार करना चाहिये| जब भी हमे लगता है कुछ मुश्किल आने वाली है ,या आ सकती है या फिर आ गयी है, तो उनसे निपटने के लिए हमे हमेशा उनके समाधान की ओर भागना चाहिए ना कि ये सोचते रहना की क्या करु-क्या करू ये सोचने में अपना समय बर्बाद ना करें | मुश्किलें पैदा क्यों होती है? मुश्किलें पैदा अपने आप नहीं होती है कुछ गलतियां करने पर ये अपने सामने दिखने लगती है।और हमें लगता है कि ये पैदा अपने आप हुई है, असल में ऐसा नहीं होता है हमारी ही कुछ ऐसी आकांशाएं जो गलत रास्ते का अनुसरण करवाती है जिससे हमें व हमारे अन्दर की ईच्छाओं की पूर्ति होती है भले ही वो रास्ता उचित ना हो फिर भी करने पर मुश्किलें पैदा हो जाती है । कहने का तात्पर्य यह है कि हमारी ही वजह से अधिकांश मुश्किलें पैदा हो जाती है।