जीवन में खुश रहने का मूल मंत्र जीवन में खुश रहने का एक ही मंत्र है,जो है उसमे खुश रहना सीखिए। जीवन में जो दिल को अच्छा लगे वो हमे करना चाहिए । जब किसी को आपकी आवश्यकता होती है और उसकी मदद आप अगर करते है और उससे उसका काम हो जाता है जिससे वो दिल से आपका शुक्रिया करता है उस खुशी का अनुभव आप करते हो वो खुशी जीवन में सबसे अलग होती है। इससे लिए खुश रहने के जीवन में बहुत से मंत्र होते है। खुशी जीवन का हिस्सा होती है इसलिए खुश रहना बहुत जरूरी है। जीवन में असली खुशी कैसे मिलती है। खुशी आज के समय में व्यक्ती में आम तौर पर दिखावटी होती जा रही है। दिल से खुशी या अन्दर से जो खुशी का अनुभव होता है वो बहुत कम होता जा रहा है, आदमी मानसिक रुप से तनाव पूर्ण जीवन जी रहे है, जिसके उसके मन मस्तिष्क में खुशी कही से कही दिखाई नहीं देती है, उस खुशी के विलुप्त होने के बहुत से कारण होते है, जैसे आम तौर पर व्यक्ती स्वयं के दुख की बजाय दुसरे के दुःख से दुःखी होता है, दूसरा व्यक्ती दुसरे के घर कुछ भी होता है वो देख देख दुखी होता है, उसका घर कितना अच्छा है, उसके कितनी सुंदर बीवी है, उसके कितना काम धाम है, उस
कर्म करिये दूसरे कि चिंता छोड़िये,नयी सोच के साथ उंची उड़ान भरिये एक बार एक साधू नदी में नहाने जा रहे थे।नहाने के लिए के नदि पर पहूंचते हैं।वहां एक पास मैं गैया चराने वाला गाय को चारागाह में लेकर चराने के लिए खड़ा था,वो वही पास से देख रहा था कि साधू जी नहाने आये हैं ।ये साधू लोग कैसे नहाते हैं ,मैं भी देखता हूं आज के ये साधू संन्त नहाते कैसे हैं। साधू का स्नान के लिए नदि में उतरना जब साधू नदि पर पहूंचने के पश्चात नहाने के लिए नदि में उतरता है व नदि में 1 डूबकी लगाता है जैसी ही वह दूसरी डूबकी लगाने के लिए पानी में जाने ही वाले थे के अचानक उन्हें पानी में एक बिच्छू दिखाई देती है,वह उस बिच्छू को बचाने के लिए हाथ से पकड़ते हैं तो जैसे ही उन्होंने बिच्छू को पकड़ा बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया ,डंक मारने पर बिच्छू उनके साथ से जलन होने के कारण पानी में वापिस छूट जाता है,जैसे छूटता है वापस वह बहकर नदि में जाने लगता है ,तो फिर साधू उसे बचाने का प्रयास करते है फिर बिच्छू उन्हें डंक मारता है ऐसा तीन-चार बार होता है,ये सब वो गैया चराने वाला खड़ा खड़ा देख रहा था। उससे रहा नी गया और उसने साधू से