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Showing posts from November, 2021

बिजनेस प्लान कैसे बनाए| Bussiness Plan kaise banaye

 बिजनेस प्लान कैसे बनाए Businesses प्लान बनाने से पहले कुछ बातों का हमे विशेष खयाल रखना चाहिए- सर्वप्रथम तो ये देखना है हम पहले से अगर कुछ छोटा मोटा काम कर रहे है या जैसा भी व्यवसाय कर रहे है, उस बिजनेस ( Bussiness) को बेहतर कैसे बना कते है यानी जो हम कर रहे है उसमे अच्छी सफ़लता क्यों नही मिल रही है हम गलती कहा कर रहे है ये देखना बहुत जरूरी है। एक सबसे बडी बात ये भी आपके व्यवसाय में जब भी आप शुरू करते है उसके आय व्यय का हिसाब आपके पास होना चाहिए,यानी की ये देखना जरुरी है कि आप ने कितने फायदा कमाया या कितना नुकसान गया, कितना उसपर खर्च आया और कितना लास्ट में बचा है,ये देखना बहुत जरुरी है। जिस काम को कर रहे हो या शुरू करना चाहते हो उसमे ये देखना आवश्यक है की उसे हम दुसरे से बेहतर या दूसरों से अलग कैसे कर सकते है या ग्राहक के समक्ष प्रस्तुत कैसे कर सकते है जिससे वो दूसरों से अलग दिखे। व्यवसाय शुरू करने की लिए निजी भवन या बिल्डिंग की जरूरत नही होती है, आप इसके किराए में ही वहा बेहतर कर सकते हो इसलिए ये विचार ना लाए की मेरे पास अच्छी बिल्डिंग नहीं है। बिजनेस ( Bussiness) हमेशा 1000 द...

नयी सोच-उँची उड़ान

 कर्म करिये दूसरे कि चिंता छोड़िये,नयी सोच के साथ उंची उड़ान भरिये एक बार एक साधू नदी में नहाने जा रहे थे।नहाने के लिए के नदि पर पहूंचते हैं।वहां एक पास मैं गैया चराने वाला गाय को चारागाह में लेकर चराने के लिए खड़ा था,वो वही पास से देख रहा था कि साधू जी नहाने आये हैं ।ये साधू लोग कैसे नहाते हैं ,मैं भी देखता हूं आज के ये साधू संन्त नहाते कैसे हैं। साधू का स्नान के लिए नदि में उतरना जब साधू नदि पर पहूंचने के पश्चात नहाने के लिए नदि में उतरता है व नदि में 1 डूबकी लगाता है जैसी ही वह दूसरी डूबकी लगाने के लिए पानी में जाने ही वाले थे के अचानक उन्हें पानी में एक बिच्छू दिखाई देती है,वह उस बिच्छू को बचाने के लिए हाथ से पकड़ते हैं तो जैसे ही उन्होंने बिच्छू को पकड़ा बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया ,डंक मारने पर बिच्छू उनके साथ से जलन होने के कारण पानी में वापिस छूट जाता है,जैसे छूटता है वापस वह बहकर नदि में जाने लगता है ,तो फिर साधू उसे बचाने का प्रयास करते है फिर बिच्छू उन्हें डंक मारता है ऐसा तीन-चार बार होता है,ये सब वो गैया चराने वाला खड़ा खड़ा देख रहा था।  उससे रहा नी गया और ...

असल जिन्दगी क्या होती है?

 होंसलों का नाम है जिन्दगी जीवन में हर व्यक्ति के सामने उतार चढ़ाव आते रहते हैं,वह हमेंशा हार से निराश होता है,मैं यह कहता हूं की तू निराश मत हो,ना रुक तू,जिद है तेरी,तू फिर चल जिद है तेरी पूरी होगी,होंसलों का नाम है जिन्दगी। तू हारा नहीं है तू जितेगा, तू रूक मत तू फिर जितेगा, गिरा है गिरने दे, तू उठ खड़ा हो फिर संभलेगा, तू देख जमाना जमाना तेरा दिवाना होगा, बस शर्त है होंसलों को बुलन्द रख इसी का नाम असल जिन्दगी है। तूफानों को पार ना है तूझे ,हर संघर्ष को पार करना है तूझे लड़खड़ाते पांव पर फिर चलना है तूझे तू हार मत तूझे जिना है फिर से। तू पिता हो सकता है,तू बहन का भाई हो सकता है तू नौकर हो सकता है तू बॉस हो सकता है।  तू मालिक हो सकता है,तू हारा नहीं है ,तू सिखा है उससे कुछ,कुछ सिखा है तो फिर हारता क्यू हैं,ये जिन्दगी उन लोगों की है जो कभी हारे नहीं है इतनी है समस्या तेरी,तू फिर भी चल , पिछे ना देख , सफलता तेरा इंतजार कर रही है। सफलता है तेरे हाथों का खेल, तू जैसे चाहे वैसे खेल सकता है,फिर निराश क्यों है तू।  संघर्षों के सांयो में जो पलता है। इतिहास गवाह है इतिहास वही लिखत...

Live in relationships|लिव इन रिलेशनशिप

लिव इन रिलेशनशिप(Live in relationships ) क्या है? विदेशों में प्रचलित यह प्रथा धीरे धीरे भारत देश में भी शुरु हो गयी है।लिव इन रिलेशनशिप का शाब्दिक अर्थ होता है कि एक अविवाहित पुरुष या अविवाहिक महिला बिना शादि किये भी एक पति पत्नि की तरह रह सकते हैं।जिसे लिव इन रिलेशन शिप(Live in relationship)कहा जाता है। यह प्रथा पश्चिमी देशों में अधिकतर है ,जो धीरे धीरे भारत में भी आने लगी है।बहुत सारे जहां एक पुरुष या एक महिला का विवाह हो जाता है और एक पुरुष व एक महिला अविवाहित होने पर भी एक पक्ष जो अविवाहित है दूसरे विवाहित पक्ष के साथ बिना शादि किये रह सकते हैं जिसे लिव इन रिलेशन शिप कहा जाता है।   माननीय उच्च न्यायालय भारत  ने भी लिव इन रिलेशनशीप में लम्बे समय तक रहने पर उन्हे पति पत्नि मान लेना चाहिए,एेसा कहा है।यह रिश्ता उनके जीवन को सुखी और आनन्दित करता है । लिव इन रिलेशनशिप (Live in relationship)के लाभ यह एक एेसा रिश्ता है जिसमें पुरुष व महिला को एक दूसरे को जानने का अवसर मिलता है।एक महिला जो जीवन को जीने के लिए कितने ही सपने लेकर इस सृष्टि पर जन्म लेती है,एक पक्षीय समाज जो बिना महिल...

Bussiness(व्यापार) कैसे करें?

 व्यापार(Bussiness) क्या है? ऐसा कार्य जिसमें किसी कार्य को करने के लिए पैसा लगाया जाता वो प्रकार खरीदी या बेचना हो सकता है। जिसके लिए वापस लाभ मिलता है कुछ कार्य में नुकसान भी होता है,व्यवसाय(Bussiness) कहा जाता है।  व्यवसाय लाभ कमाने के उद्देश्य से किया जाता है ।इसमें बहुत सारे प्रकार से कंपनियों के माध्यम से या स्वयं का व्यवसाय हो सकता है।जिसमें स्वयं ही मालिक रहते हैं।  व्यवसाय(Bussiness)कैसे करें? व्यवसाय शुरु करने के लिए हमें कुछ पूंजी निवेश करना होती है।अगर आप नया व्यवसाय शुरु करना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि आप जिस व्यवसाय को कर रहें हैं,उसकी जानकारी आपको होना चाहिए।या जिस प्रकार के व्यवसाय में आप उतरते हैं उसकी गुणवत्ता उच्च होना चाहिए।यानी अच्छी होना चाहिए। व्यवसाय में आपकी जानकारी व रुचि रखकर कार्य होना चाहिए।आप कार्य में कितने निपूण हो यह महत्वपूर्ण नहीं रखता है आप कितनी मेहनत करके निपूण होते हैं ये महत्वपूर्ण होता है। आपके पास कुछ पूंजी होना चाहिए या कही से हम पैसा लेना है तो आय व्यय का पूर्ण हिसाब रखकर कार्य करना चाहिए।जिससे हमें व्यवसाय में न...

loan|लोन कैसे प्राप्त करें?

 लोन(loan) क्या होता है ? किसी एक कंपनी या एजेंसी से कुछ ब्याज(Interest) दर पर लिया गया पैसा जो किसी निश्चित समयावधि में किश्तों के माध्यम से  वापस देना रहता है।लोन कह सकते है ।लोन किसी व्यक्ति को किसी कार्य के लिए लिये जाने वाला कर्ज रहता है जो किसी निश्चित अवधी में कर्जकर्ता को साहूकार या कंपनी को देना होता है। लोन(loan) प्रक्रिया  लोन लेने के लिए किसी भी कंपनी या अदाकर्ता बैंक के नियम व कुछ शर्तें रहते है ,जिसके अनुसार हमें उनका पालन करते हुए, अपने दस्तावेज को उपलब्ध करवाना होता है। लोन लेने वाले के सभी दस्तावेज लगाये जाते है।लोन लेने वाले के साथ बहुत सारी कंपनी या बैंक 2 जमानकर्ता के दस्तावेज भी साथ में लेती है।व दोनों की गवाही के तौर पर लोन प्रदान किया जाता है।   लोन(loan)दस्तावेज लोन लेते समय सभी प्रकार के दस्तावेज बैंक व कंपनिया मांगती है ,जैसे व्यक्ति का आधार कार्ड,वोटर कार्ड,पैन कार्ड ,ड्राईविंग लाईसेंस,फोटो,बिजली बिल,कूपन,जमानत कर्ता के आधार कार्ड व फोटो भी चाहिए रहता है।साथ में भवन ,भूमि के दस्तावेज भी लगाये जाते हैं।  लोन(loan) के प्रकार  ...

politics|राजनिति कैसे होती है?

 भारतीय राजनिति पर विश्लेषण भारतीय राजनिति में समय के साथ बदलाव होता जा रहा है।भारतीय में राजनिति की ओर बढ़ने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।भारतीय राजनितिकार लोग भी समय समय पर भारतीय राजनिति के बारे में तुलनात्मक अध्ययन करते रहते हैं।भारत राजनिति के कुछ पहलू इस प्रकार हो जो आप देख सकते है़।  छात्र राजनिति कॉलेज स्तर पर जब छात्र प्रवेश लेते हैं तब कॉलेज स्तर से ही उनके मन में छात्र राजनिति करने की सोच मन में विकसित होने लगती है,जिससे वे छात्र राजनिति में धीरे धीरे सक्रीय होने लगते हैं।उनके अन्दर राजनिति करने की सोच जाग्रत हो जाती है।वे स्वयं को एक नेतृत्व करता समझने लगते हैं,कुछ निर्णयों में वे स्वयं को सिद्ध या सत्य साबित करने में लगे रहते हैं।छात्र राजनिति से शुरुआत करके वो धीरे धीरे राजनिति की और कदम बढ़ाने लगता है।इस शुरुआती पढ़ाव से वो अपने भविष्य को इसी में देख कर इसकी ओर खिंचा चला जाता है।  युवाओं की राजनिति में रूचि भारत की राजनिति में  पुरे देश भर में प्रत्येक युवा राजनिति में आना चाह रहा है।युवा वर्ग राजनिति की ओर अधिक आकर्षित हो रहा है। वह राज...

Life insurance

 जीवन बीमा जीवन के साथ व जीवन के बाद या यूं कहे मृत्यु होने के उपरांत भी जो हमारा(परिवार का)साथ देता है वो बीमा कहलता है।बीमा राशि जो व्यक्ति के प्रतिदिन या प्रतिमाह या प्रतिवर्ष  की आय का कुश अंश भविष्य के लिए सुरक्षा के रुप में जमा रहता है जो कुछ ब्याज या जिस कंपनी में  बीमा कंपनी ने पैसे लगा रखा है उस कंपनी के फायदे का कुछ अंश सब ग्राहको में वितरित होने वाली राशि जो बढ़कर हमें मिलती है ।जो हमारे भविष्य के कार्यों में कुछ सहायक होती है। बीमा जीवन को सुखी व खुशहाली किसी दु:ख के समय में लाने का कार्य भी करता है। बीमा हमारे लिए क्यों जरुररी है? बीमा हमारे जीवन के लिए अत्यंत जरुरी होती है।यह हमें जीवन की सुरक्षा प्रदान करता है,हमें जीवन की सुरक्षा प्रदान से हमें जीवन जीने की आजादी की खुशी मिलती है।परिवार में हमेंशा जीवन के लिए बीमाकर्ता के परिवार को अर्थ का सहयोग मिलता है जो अंश के रुप में जमा होकर भविष्य में अत्यधिक राशी होकर होकर एक साथ मिलती है ।जिससे परिवार में आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है।या फिर बीमा का हमारे जीवन में इसलिए भी महत्व है कि किसी दुर्घटना में हमारी ...

बस के सफर वाली मेरी यात्रा

घर से प्रस्थान ठंड का मौसम है,घर से निकले के पूर्व मैंने अपने ऊनी कपड़े स्वेटर मौजे व गरम कपड़े सब बैग में पैक कर लिये है। मेरी यात्रा की शुरुआत कुछ इस तरह हुए,मैंने सबसे पहले मेरी यात्रा के लिए बस मैं बैठकर नीमच जहां मूझे हरिद्वार की यात्रा करनी थी ,उसके लिए नीमच पहूंचने वाली बस में बैठकर नीमच पहूंचे।जहां बस ऑफिस में पूछने पर पता चला कि कुछ समय आपको रुकना पढ़ेगा ,उसके बाद आपके द्वारा बुक कि गई बस आ जायेगी।हम सब बस का इंतजार कर रहे थे तभी अचानक याद आया बस के सफर में भूख लगेगी तो साथ में हम सबके लिए फल लेकर आ जाते हैं,मैं जहां बाजार में बस स्टेण्ड के पास थैला लगा कर फल बेचने वाले से फल क्रय कर लेता हूं।फिर सब बैठे हुएहै वहां पहूच जाता हूं।पहूंचने के कुछ समय पश्चात ही हमारी हरिद्वार वाली बस आ जाती है।  बस का सफर  हम सब दोपहर के समय बस में बैठते है ।बस में कुछ यात्री और थे जो माता पिता का पिंड दान के लिए हरिद्वार जा रहे थे।सब लोग अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों से ही जूड़े हुए।बस में कुछ समय का सफर करने के पश्चात हमें बस में ही अपने परिचित मन्दसौर के लोग भी मिलें।फिर सबसे जान पहचान ...

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।

शिक्षक की राष्ट्र निर्माण में भूमिका शिक्षक की गोद में कहते हैं कि  प्रयल  और निर्णाण दोनों पलते है ।शिक्षक ही ऐसा व्यक्ति है जो कि जो राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।शिक्षक ऐसे छात्रों का निर्माण करते है ,जो पूरी सृष्टि की दिशा और दशा बदलने वाले विद्यार्थियों का निर्माण करते हैं जो समय के साथ कुछ अच्छा करके राष्ट्र की प्रगति में अहम् भूमिका निभाते है।एक शिक्षक चाहे तो छात्र को महान इंसान बना सकता है तो वो ही एक हैवान भी बना सकते हैं।पर शिक्षक हमेंशा ऐसे बालकों का ही निर्माण करते है जो राष्ट्र हित  में चिंतन करते रहते हैं।    शिक्षकों का राष्ट्र निर्माण में सहयोग विद्यार्थी जीवन बहुत कोमल होता है उसे जिस दिशा में हम मोड़ना चाहे मोड़ सकते है,लेकिन शिक्षक अपने शीलता ,क्षमा ,व कर्म के गुणों से परिपुर्ण होने के कारण वह बच्चों में भी वैसे ही गुणों को समाहित करता है। जिससे बच्चा शिक्षक के अनुरुप अनुसरण करके वैसा ही सिखने का प्रयास करता है।शिक्षक बालकों के निर्माण में बच्चों का शारीरिक मानसिक व बौद्धिक विकास  पूर्ण रुप से हो इस हेतु सतत् च...

how to make hindi project on every topic|हिंदी में प्रोजेक्ट कार्य

प्रिति और कीर्ति का संवाद! क्या लिखू?  एक बार प्रिति और कीर्ति को एक कॉलेज के प्रोजेक्ट के लिए असाईनमेंट लिखने के लिए मिला।जब दोनों ने घर जाकर प्रोजक्ट के विषय में चर्चा कर रही थी के" क्या लिखूं ?" कुछ समझ नहीं आ रहा है किसी विषय पर लिखना हो तो क्या लिखूं ?,कैसे लिखूं? किस तरह से लिखूं ? क्या क्या विषय वस्तू डालना है ।दोनों बात कर ही रही थी कि अचानक उनकी मां का प्रवेश होता है।  माता जी का प्रवेश होता है जब उन दोनों की माता देवकन्या बाई ने ये सब सुना तो तो उन्होंने उन दोनों से चर्चा कर बोला ठहरिये ,मैं आप दोनों को बताती हूं कैसे किसी विषय वस्तू को विस्ताररित रुप प्रदान किया जाता है। माता ने बता बताना प्रारंभ किया-  विषय वस्तु को सर्वप्रथम  शीर्षक के रुप में लिखना प्रिती और किर्ती ने पूछा वो कैसे लिखते है? उनकी माता जी ने समझाया जब हमें किसी विषय के बारे में विस्तार से लिखना होता है उस विषय को छोटे रुप में या कम शब्दों में लिखना या यू कहे शीर्षक से ही सामने वाला पूरे पद्यांश का सार समझ जाता है के निम्न लिखी जानकारी किसके बारे में हो सकती है ।शीर्षक हमेंशा जो लिखना है उ...

Indian Culture | भारतीय संस्कृति की व्यापकता

Indian Culture |भारतीय संस्कृति अन्य देशों से भिन्न है।    भारत देश में भांति भांति के लोग निवास करते है,प्रत्येक लोगों क्षेत्र बदलने पर संस्कृति बदल जाती है। जिस राज्य में चलते है वहां क्षेत्र अनुसार उसकी संस्कृति में बदलाव आ जाता है।जैसे जैसे देशों की यात्रा करते है प्रत्येक भाग पर जाने पर उनकी संस्कृति में बदलाव आता जाता है  हमारे रिति रीवाज सब अन्य देशों से बहुत ही अलग है। Indian Culture | भारतीय राज्यो की संस्कृति में बदलाव हम देखते है कि गुजरात राज्य की संस्कृति के अन्तर्गत वहां गरबा महोत्सव सबसे ज्यादा मनाया जाता है।गुजराती संस्कृति के अनुसार वहां सभी लोग ग्रुप बना कर डांडिया खेलते है। राजस्थान राज्य की बात करे तो राजस्थान में रेगिस्थान अत्यधिक है व रैतिली जमीन होने के कारण वहां ऊँट अत्यधिक पाये जाते है और वो लोग उसी की सवारी अधिक करते है।ऊंट के पांव में स्पंज सी लगी रहती है जिसके कारण ऊंट को रेगिस्थान में चलने परेशानी नहीं आती है और वो  आसानी से चल जाता है इसलिए  उसकी सवारी की जाती है वहां का पहनावा भी राजस्थानी रहता है। मध्यप्रदेश की बात करे तो यहां...

महामाया भादवा माता स्थान कैसा है?

 मालवा की वेष्णोदेवी भादवामाता पर्यटन स्थलों में प्रसिद्ध भारत के मध्यप्रदेश के नीमच जिले में स्थित आस्था का केन्द्र महामाया भादवामाता का तीर्थस्थान है।यह तीर्थ स्थान मालवा की वैष्णोदेवी के नाम से भी प्रसिद्ध है।यह पूरे देश से श्रद्धालू आकर महामाया के दिव्य दर्शन करते है। नीमच जिला मुख्यालय से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।इस तीर्थ पर सैकड़ो श्रद्धालु प्रतिदिन देवी मां के दर्शन के लिए पधारते है।  देवी स्थान की दार्शनिक संरचना नीमच से जैसे ही आप मा ं के दरबार की ओर जाते समय जवासा ग्राम के वहां महामाया के नाम से गेट बना हुआ है। गेट से अन्दर प्रवेश करना होता है प्रवेश करते ही कुछ कि.मी. की दूरी पर देवी स्थान के पास एक और गेट बना हुआ है। श्रद्धालूओं के लिए वहां प्रत्येक समाज द्वारा अपनी धर्मशालाओं का निर्माण किया है ।जिससे दर्शनार्थियों को असुविधा नहीं होती है।रात्रि विश्वाम में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आती है ।कम दाम में उचित व्यवस्था रहने खाने की हो जाती है।मन्दिर परिसर के बाहर एक बगीचा बना हुआ है जो आकर्षण का केन्द्र रहता है ।जिसमें लोग आसानी से वहां टहल सकते हैं...

मेरा गांव मेरा अभिमान है || Mera Gav Mera Abhiman

 गांव की सुन्दरता का चित्रण गांव के बारे में जितना लोग खिल्ली उड़ाते है उसका सुन्दर चित्रण में कुछ अपने शब्दों में इस प्रकार बताता हूं।गांव को प्रेम जो एक परिवार में समस्या आने पर दूसरा परिवार साथ देता है।मूसिबत में हमेंशा एक व्यक्ति दूसरे के लिए समय निकाल कर मदद के लिएआगे आता है वो है गांव।गांव की परिभाषा अक्सर अनपढ़ अगूठे छाप के रुप में जैसे ही गांव की बात आती है दिमाग में एक छवि बन जाती है।लेकिन उसकी सुन्दरता के बारे में बहुत कम लोग जान पाते है।गांव के पनगट पर जब पणहारी गगरी भरने जाती है तो एेसा प्रतित होता है मानो सांसारिक जीवन के सुख के साथ सारी पणहारिनियां एक ही रस्सी से पूरे गांव की मटकियों को भरती है वहां पूरे गांव की महिलाओं का ये प्रतित होता है कि वे संसाधनों के अभाव में ग्रस्त महिलाओ या परिवारों का साथ भी देती है वो है गांव। गांव का सोन्दर्य जब सर्दी के दिनों में हरि हरि घास पर ओस की बून्दे गिरने के बाद सूबह सूबह सूर्य की किरणें जब उस पर गिरती है तो मानों मोती चमक रहे है एेसे प्रतित है ये सुन्दरता मन को मोह लेती है।बरसात के दिनों में मयूर की वो आवाज के साथ नृत्य करना मन ...

छात्र जीवन कैसा होता है?

विद्यार्थी जीवन का परिचय जब बच्चा तीन वर्ष का होता है ।अभिभावक बच्चे को स्कूली शिक्षा की ओर धीरे धीरे आगे बढ़ाने के प्रयास में जूट जाते हैं।विद्यार्थी सुबह जल्दी उठना और सुबह सूबह तैयार होना और जल्दी उठने के दौरान कभी कभी लेट हो जाना है ,फिर जल्दी जल्दी में माता पिता खाना टिफिन पैक करके जल्दी ही स्कूल भेजना ,कभी कभी लेट हो जाना यह बचपन के स्कूली क्रम में चलता रहता है।कभी रोना कभी किसी चिज के लिए झगड़ना यह सब एक छोटे बच्चे के आम गुण होता है । कुछ समय पश्चात- बच्चा धीरे धीरे बढ़ा होने लगता है वह 4th और 5th  स्टेन्डर्ड में आ जाता है।फिर वह धीरे धीरे कुछ ना कुछ करने या सिखने लग जाते है,शरारते चालू हो जाती कुछ मस्ती करते हैं तो कभी कोई टीचर्स से शिकायते करते हैं तो कभी छोटी छोटी बातों के लिए लड़ने झगड़ने का सिलसिला चालू रहता है। एेसी ही धीरे धीरे बड़ी कक्षाओं का रुख अपनाने लगता है ।उसकी आवश्यकताएं बढ़ जाती है समय के साथ बदलाव होने लगता है। विद्यार्थी जीवन के किशोरावस्था विद्यार्थी धीरे धीरे उम्र के साथ कई तरह के बदलाव होने लगते हैं।और वह जीवन के उस पथ पर खड़ा रहता है जहां जीवन की असली प...

विचारों का मनुष्य जीवन में महत्व

मनुष्य के जीवन में विचारों का महत्व व्यक्ति अपने जीवन में हमेंशा कुछ ना कुछ करने के लिए आतूर रहता है।वह कैसे जीवन जीना चाहता है यह सब उसके विचारों पर निर्भर करता है ,उसकी सोच पर निर्भर करता हूं।व्यक्ति में हमेंशा संवाद के लिए विचारोपरांत की संवाद की महत्ता बढ़ जाती है।इसलिए बिना सोच विचारे की गई चर्चा हमेंशा जीवन में अहित या अपनों को चोट पहूंचाने जैसी होती है। इसलिए मनुष्य जीवन में जब भी हमैं चर्चा का अवसर मिले हमें अपने विचारों को स्थिर रखकर उन पर ही चर्चा करनी चाहिए। सूविचारों का महत्व व्यक्ति को या अपने सम्पर्क वाले को सबसे ज्यादा प्रभावित व्यक्ति के सुविचार होते है।हम किस प्रकार के विचारों से प्रभावित है हम अक्सर उन्हीं को जीवन में उतारने का प्रयास करता है।उसी के अनुरुप वो खाते है पिते है और उसी की तरह जीवन जीने लगते हैं ।इसलिए अगर व्यक्ति अच्छे सुविचारों को जीवन मैं उतारता है तो वह हमेंशा अच्छा ही और हमेंशा अच्छे लोगो को ही अपने पास पायेगा।इसलिए अपने अन्दर सुविचारों को जगह देना चाहिए। सूविचारों से लाभ जब भी हम किसी प्रकार के कार्यों के करने के लिए शुरुआत करने के लिए किसी से सम्पर्...

समय ही सोना है || samay Hi sona h

समय कितना अनमोल है? समय जिसका मनुष्य जीवन में अत्यधिक महत्व रहता है ।जिस समय के बीना कुछ भी संभव नहीं हो सकता है वह समय पर ही संभव होता है,मतलब समय का अपने आप में बहुत ज्यादा महत्व है। समय की गति निरन्तर है ना इसे हम रोक सकते है ना इसकी चलने की गति कम सकते है ना बढ़ा सकते है ,सब कुछ समय के हाथ में ही है के मुझे किस गति से चलना है। समय बढ़ा बलवान होता है,समय पर काम नहीं करने पर अच्छे अच्छे करोड़ पति रोड़ पर आ जाते है और रोड़ पर रहने वाले करोड़पति हो जाता है। समय की अपनी सीमा है व्यक्ति को समय के अनुरुप चलना होता है ना कि समय व्यक्ति के अनुरुप चलता है। जो हमेंशा कल को कहकर टाल देने वाले लोग समय की किमत नहीं पहचान पाते है ,समय पर किया गया कार्य हमेंशा सही दिशा में सही तरिके से सही ही होता है। इसलिए समय की किमत पहचानना पढ़ेगी ,समय ही सोना है इसकी किमत पहचाने ,इसे कभी नहीं खोना है। समय के बदलते रुख में अच्छे अच्छे की किस्मत भी बदल जाती है ,बस समय का इंतजार करना पढ़ता है।विद्यार्थियों को भी रिजल्टस के लिए समय का इंतजार करना होता है,तो किसान को फसल पकने के लिए समय का इंतजार करना पढ़ता है...

Focus on your goal|लक्ष्य प्राप्ति कैसे करें।

अपने लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें? एक बार गुरु जी के द्वारा चार शिष्यों की परिक्षा ली जा रही थी । सबसे शिष्यों से पूछा गया क्या आप सब परिक्षा के लिए तैयार हो। सभी शिष्यों ने जवाब दिया है हा हम सब तैयार है ,हम सभी शिक्षा में निपूण हो गये है़। गुरुरजी सभी शिष्यों को एक एेसी जगह ले गये जहां सभी शिष्यों की परिक्षा ली जानी थी । परिक्षा स्थल पर पहूंचने के बाद सभी शिष्यों ने देखा एक तोता(प्लास्लिक)लटका रखा था ।गुरुजी ने सभी शिष्यों से कहा आप सबको को तोते की आंख पर निशाना लगाना है। तो सभी ने एक स्वर में गुरुजी की हूंकार भरी बोला ठीक है गुरुजी। गुरुजी ने पहले शिष्य से कहा तुम्हें क्या दिख रहा है,तो शिष्य ने कहा मूझे तोता आसपास के पेड़ आप सब जगह हर चिज दिखाई दे रही है।तो गुरुजी ने निशाना लगाने से इंकार कर दिया । दूसरे शिष्य से पूछा तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है तो उसने कहा मूझे तोता दिखाई दे रहा है आसपास पेड़ दिखाई दे रहे हैं। एेसी इसे भी निशाना लगाने से मना कर दिया । फिर तीसरे से पूछा तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है ।तो उसने कहा गुरूजी मूझे सिर्फ तोता दिखाई दे रहा है। फिर चौथे से पूछा के तुम्हे क्या...

Childrens day special

बालदिवस आज देेश में चिल्ड्रन्स डे बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।बच्चों से पं.जवाहरलाल नेहरु द्वारा स्नेह रखने के के कारण इस दिन का बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है। बालदिवस पर विशेष बाल दिवस पर देश में मनाना तब सार्थक होगा जब हम बच्चों से बालश्रम जो ग्रामीण क्षेत्रों जैसी जगह में करवाते है,वह पूर्णत: बन्द होना चाहिए। बालदिवस मनाना तब सार्थक होगा जब ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व अभिभावक को समझाकर वो बच्चो के प्रति जागरुक होकर शिक्षा का महत्व समझकर बच्चों के नियमित विद्यालय प्रत्येक बच्चों को भेंजेंगे तब हमारा बाल दिवस मनाना सार्थक होगा। बच्चे मन के सच्चे होते है ।हमें बच्चों को शिक्षा के साथ साथ साथ व्यवहारिक ज्ञान देना भी अत्यधिक आवश्यक है।हमारे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो इस हेतु बालकों को सभी प्रकार से प्ररित करके उनका होंसला बढ़ाकर उन्हें आगे बढ़ने की सलाह देते रहना चाहिए। बालको को कभी भी नकारात्मकता के माहौल में हमें नहीं रहने देना चाहिए,ना ही एेसा वातावरण परिवार में होना चाहिए।अत्यधिक सकारात्मक माहौल के साथ बच्चों को रखना चाहिए। माताएं क्या कर सकती है- माताओ...

प्रतिभा क्या होती है?

प्रतिभा को कैसे निखार सकते हैं? प्रतिभा यह एेसा शब्द है जो प्रत्येक व्यक्ति में किसी ना किसी रुप में विद्यमान रहता है।यह किसी के कहने से या किसी के सोचने से या किसी के द्वारा पैसों से खरिदी हुई चिज नहीं है। यह प्रत्येक उस व्यक्ति के अन्दर छिपि हुई व कला है जो प्रत्येक व्यक्ति में किसी ना किसी रुप में विद्यमान रहती है। किसी में नृत्य तो किसी में बोलने की तो किसी में गाने की तो किसी में चलने की तो किसी में दोड़ने की ना जाने कितनी प्रकार की प्रतिभाएं हमारे देश में है और प्रत्येक व्यक्ति में किसी ना किसी रुप में रहती है । प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है ।ना ही किसी के घर की।प्रतिभा निखारने का व्यक्ति में हूनर होना चाहिए, ये भी एक प्रकार की प्रतिभा है ।अगर निखारने का हूनर है तो देश में ना जाने कितनी प्रतिभा निखर के सामने आयेगी।हमें देश की इन्ही प्रतिभाओ को निखारने का काम करना चाहिए।

motivational story|प्रेरक प्रसंग

राजा और मंत्री की प्रेरणा दायक कहानी "जो होता है हमेंशा अच्छे के लिए होता है" एक बार एक राजा और उसका मंत्री महल में बैठे थे।बैठे बैठे राजा फल काट कर खाने के प्रयास के लिए फल काट रहे थे।अचानक से फल काटते समय राजा की ऊंगली कट जाती है ,तो पास बैठे मंत्री अचानक से बोल उठते है जो होता है अच्छे के लिए होता है राजा साहब चिन्ता ना करें। इतना कहते ही राजा को गुस्सा आ जाता है ,और राजा मंत्री को कारागाह में बन्द करने का आदेश दे देता है और सजा सुना देता है इसे दस खूँखार जानवरों के बीच जिन्दा छोड़ दे ताकी वो नोच नोच के जिंदा खा जाये। एेसा सुनकर मंत्री ने राजा से निवेदन किया है कि राजा साहब आपके यहां इतने वर्षों से वफादारी से काम किया है मेरी अन्तिम इच्छा पूरि नही करोगे क्या? राजा ने तुरन्त मंत्री की बात स्वीकार कर ली।मंत्री से पूछा बोला क्या है आपकी अन्तिम इच्छा ? मंत्री ने जवाब दिया मुझे केवल 10 दिन का समय चाहिए ,उसके बाद आपको जो दण्ड देना है दिजिये ?राजा ने सोचा इतने दिन में कर भी क्या लेगा? जंगल का वृतांत  राजा दूसरे दिन जंगल शिकार पर निकल गये।शिकार पर जाते समय जंगल के बीच में राजा और...

जीवन(life) की जंग अपनों के संग कैसे होती है?

जीवन(life) में अपने से संघर्ष कैसे होता है? वर्तमान में व्यक्ति बहुत ही ज्यादा व्यस्ततम जीवन बीता रहा है।अपनों के पास बैठने का बात करने का समय नहीं है।जिससे धीरे धीरे संयुक्त परिवार की जो परम्परा है वो समाप्त सी होती नजर आ रही हैै। वह धीरे धीरे अपनों से दूरिया बना कर जीवन जीने में विश्वास करने लगा है,वह धीरे धीरे इस कदर अलग थलग अपने परिवार से होता नजर आ रहा है कि वह अपनों को अपनी बात कहने से संकोचा रहा है।धीरे धीरे परिणामस्वरुप वह अपनों से दुरिया बनाकर अपनों से धीरे धीरे दूर होता जा रहा है,एक दूसरे के मन एक दूसरे के प्रति नकारात्मकता का माहौल सा हो गया है,मानों एेसा लग रहा है जैसे " जीवन की जंग अपनों के संग"हो रही है।आज व्यक्ति को प्रेम की आवश्यकता होने के बाद भी उसे अपनों से धीरे धीरे दूरिया मिल रही है ,जिससे वह तनाव ग्रस्त चिढ़चिढ़ापन गुस्सा जैसी चिजों से गुजरता जा रहा है । जिसके फलस्वरुप वह धिरे धिरे अकेला सा होता जा रहा है।मनुष्य जीवन में आज इंसान भाई भाई के बीच,देवरानी जेठानी से लगाकर कर पारिवारिक रुप से जो परिवार से जूड़े लोगों से धीरे धीरे दूरिया सी हो गयी है। वह अपनों...

प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती है।

सृष्टि पर जो कुछ भी घटित होता है, प्रकृति के नियमानुसार घटित होता है।प्रकृति में निरन्तर आमूलचूल परिवर्तन होते रहते है,फिर भी वह अपने निरन्तर क्रम में चलती रहती है। कौन क्या उसके साथ खिलवाड़ कर रहा है ,उसे दूषित तो कही खनन तो कही जंगलो की कटाई तो कही आग से लड़ते हुई भी अपने अस्तित्व को बचाये हुए है। कितने ही प्रकार के आघात सहने के बाद भी स्थिर रहते हुए अपने अस्तित्व को संजोकर रख रही है। फिर इंसान क्यों हार मान लेता है।आपके विकास क्रम में जिस प्रकार से प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ हो रहा है ठीक उसी प्रकार आपके साथ भी आपकी प्रगति के विरोध में अवरोध पैदा करने के उद्देश्य से लोग आपके विकास क्रम की गति को कम करने के लिए अवरोध पैदा करते हैं।हमें प्रकृति से सिख लेते हुए निरन्तर अपने प्रयासों को जारी रखना चाहिए,ताकि हम किसी भी प्रकार की रुकावट का सामना करते हुए निपन्तर प्रकृति की भांति आगे बढ़ते रहे। प्रकृति से दूसरी सिख सिखना हो तो एक हरे पेड़ को देखना,एक पापी व्यक्ति जो हरे वृक्ष को काटता है उसके स्वार्थ के लिए ,फिर भी वृक्ष कुछ समय में कटने के बाद भी नयी डालियों के साथ फूटन करके पुन:फलदार वृक्ष...

असफलता से सिख

प्रकृति हमें कैसे सिखाती है? जीवन में व्यक्ति कुछ ना कुछ कार्य करता रहता है ,हमेंशा किसी भी कार्य को करने से सफलता मिले यह जरुरी नहीं।व्यक्ति को जब भी कुछ कार्य के लिए असफलता मिलती है वह या तो वह कार्य छोड़ देता है या फिर नये कार्य की तलाश में जूट जाता है,वह यह सोच लेता है कि यह काम मैं नहीं कर सकूंगा ,यह मेरे बस का नहीं है यहां कुछ नहीं होना है और छोड़ कर दूसरा शुरु कर देता है। फिर परिणाम वही जो जो शुरुआत में मिले है वही दोहराता रहता है ,अन्त में कर्ज में डूब जाता है और जीवन से निराश होकर घर बैठ जाता है।असल में जीवन यह नहीं है। व्यक्ति को सफलता का रास्ता असफलता से होकर गुजरता है,,हमें वही तो वो असफलता है जो हमें सिखाती है के तु गलत कर रहा है ,रास्ते में ये ये गलतिया हूई है ,तू उनसे सिख और फिर शुरुआत कर ,फिर खड़ा हो और एक नये जोश के साथ फिर वही काम कर ,सफलता आपके कदम चूमेंगे। सफलता किसी की मोहताज नहीं होती है।ये हर उस व्यक्ति का साथ देती है जो जूनून के साथ असफलता के शब्दो को इर्द गिर्द भटकने के बावजूद सफलता को प्राप्त कर लेता है।