जीवन में खुश रहने का मूल मंत्र जीवन में खुश रहने का एक ही मंत्र है,जो है उसमे खुश रहना सीखिए। जीवन में जो दिल को अच्छा लगे वो हमे करना चाहिए । जब किसी को आपकी आवश्यकता होती है और उसकी मदद आप अगर करते है और उससे उसका काम हो जाता है जिससे वो दिल से आपका शुक्रिया करता है उस खुशी का अनुभव आप करते हो वो खुशी जीवन में सबसे अलग होती है। इससे लिए खुश रहने के जीवन में बहुत से मंत्र होते है। खुशी जीवन का हिस्सा होती है इसलिए खुश रहना बहुत जरूरी है। जीवन में असली खुशी कैसे मिलती है। खुशी आज के समय में व्यक्ती में आम तौर पर दिखावटी होती जा रही है। दिल से खुशी या अन्दर से जो खुशी का अनुभव होता है वो बहुत कम होता जा रहा है, आदमी मानसिक रुप से तनाव पूर्ण जीवन जी रहे है, जिसके उसके मन मस्तिष्क में खुशी कही से कही दिखाई नहीं देती है, उस खुशी के विलुप्त होने के बहुत से कारण होते है, जैसे आम तौर पर व्यक्ती स्वयं के दुख की बजाय दुसरे के दुःख से दुःखी होता है, दूसरा व्यक्ती दुसरे के घर कुछ भी होता है वो देख देख दुखी होता है, उसका घर कितना अच्छा है, उसके कितनी सुंदर बीवी है, उसके कितना काम धाम है, उस
बच्चों का कौशल विकास कैसे किया जा सकता है।
बच्चों में कौशल विकास बहुत सारे प्रसार से करने होते है। जिससे बच्चे का सर्वांगीण विकास हो सके। बच्चो में विकास करने के उद्देश्य से में कौशल विकास महत्वपूर्ण होता है। वो जो भी कार्य करता है उसे पूरी तरह से समझ कर कर सके। कौशल बच्चे के अंदर बेसिक तरीके से देखा जाए तो लेखन कौशल, पढ़ने का कौशल और सबसे महत्वपूर्ण होता है भाषा का कौशल जो उसके लिए बहुत महत्व पूर्ण होता है। इन कौशल के बारे में आपको और आगे बताते है।
बच्चों में लेखन कौशल का विकास कैसे करें?
बच्चों मैं लेखन कला का विकास भी बहुत महत्व पूर्ण होता है, जब भी उसके लिखने का कार्य होता है या जब भी कुछ महत्वपूर्ण बच्चा लिखता है या बड़ी उम्र होने पर लिखता है तो वह उस लेखन कला में पूर्ण नहीं होगा तो अर्थ का अनर्थ कर देगा, यानी लिखना क्या रहेगा और लिख क्या देगा, इसलिए बच्चो में लेखन कला या कौशल बहुत महत्वपूर्ण रहता है उसे जब प्री प्राइमरी कक्षा में में बच्चा पड़ता है तभी हमे ध्यान पूर्वक उसे सुधार करने की आवश्यकता रहती है। शिक्षक या जांच करता अगर उसकी लेखनी को ध्यान से ना देखकर उसके सही उत्तर को ही सही मानकर सही करता जाता है तो फिर वह हमेशा के लिए गलत लिखना प्रारंभ कर देगा। इसलिए जब भी बच्चा किसी भी अक्षर की सुंदरता को गलत तरीके से दर्शाता है या लिखता है तो उसे प्रेम पूर्वक सुधार करके भविष्य कि गलती को हम सुधार सकते है।
बच्चों में पढ़ने के कौशल का विकास कैसे करें?
बच्चो के पढ़ने की कला भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना लिखने की, क्योंकि जब वह लिखना सीख जायेगा और पढ़ना सही से नही आयेगा तो भी वो हमेशा त्रुटियां ही करता रहेगा, इसलिए ये कौशल भी महत्वपूर्ण है। पड़ने के कौशल का विकास करने के लिए सबसे पहले जिन अक्षर को बच्चा समझ रहा है उनका उच्चारण बच्चा सही से करे ये ध्यान रखने की बात रहती है, बच्चा गलत भी बोलता है तो उसे बोलने जरुर देवे उसके पश्चात उसे प्रेम से समझा कर सही से बुलवाए फिर उसकी वर्तनी सुधर जायेगी।
भाषा कौशल क्यों जरूरी है | भाषा कौशल का विकास कैसे करे?
भाषा कौशल जीवन में हर जगह बहुत आवश्यक है। ऐसा मान सकते हो की हर कम आपके भाषा कौशल से ही पूर्ण होंगे। आप किसी नौकरी में जाने के इच्छुक हो या मार्केटिंग या किसी व्यवसाय में ये गुण आपके लिए बहुत जरूरी होता है। इसके बिना आप का कार्य अधूरा रह जायेगा। इसलिए भाषा कौशल का विकास बहुत जरूरी है।
भाषा कौशल का विकास करने के लिए आप अपने स्कूली जिवन में ही इस कौशल को शिक्षक सीखा सकते है। क्योंकि छोटे छोटे आयोजनों में बच्चों को बोलने का अवसर प्रदान करे उसके अंदर की झिझक दूर हो जाएगी और वो एक अछा वक्ता हो जायेगा। हमे अपनी भाषा को भाषण के माध्यम से या मंच पर बोलने कि कला का विकास का करने के लिए कांच के सामने बोलकर भी आप अछा प्रयास कर सकते है और एक अच्छे वक्ता हो सकते है।
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