भारतीय राजनिति पर विश्लेषण
भारतीय राजनिति में समय के साथ बदलाव होता जा रहा है।भारतीय में राजनिति की ओर बढ़ने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।भारतीय राजनितिकार लोग भी समय समय पर भारतीय राजनिति के बारे में तुलनात्मक अध्ययन करते रहते हैं।भारत राजनिति के कुछ पहलू इस प्रकार हो जो आप देख सकते है़।
छात्र राजनिति
कॉलेज स्तर पर जब छात्र प्रवेश लेते हैं तब कॉलेज स्तर से ही उनके मन में छात्र राजनिति करने की सोच मन में विकसित होने लगती है,जिससे वे छात्र राजनिति में धीरे धीरे सक्रीय होने लगते हैं।उनके अन्दर राजनिति करने की सोच जाग्रत हो जाती है।वे स्वयं को एक नेतृत्व करता समझने लगते हैं,कुछ निर्णयों में वे स्वयं को सिद्ध या सत्य साबित करने में लगे रहते हैं।छात्र राजनिति से शुरुआत करके वो धीरे धीरे राजनिति की और कदम बढ़ाने लगता है।इस शुरुआती पढ़ाव से वो अपने भविष्य को इसी में देख कर इसकी ओर खिंचा चला जाता है।
युवाओं की राजनिति में रूचि
भारत की राजनिति में पुरे देश भर में प्रत्येक युवा राजनिति में आना चाह रहा है।युवा वर्ग राजनिति की ओर अधिक आकर्षित हो रहा है। वह राजनिति में अपने भविष्य को आगे ले जाने के लिए वह राजनिति में सक्रीय होता जा रहा है।देश भर की क्षेत्रीय पार्टियों में भी राजनितिक पार्टियां युवा वर्ग को आगे लाकर उनकी सोच और उनके कार्यों के द्वारा संगठनात्मक व वैचारिक व पार्टी को शीर्ष पर पहुचाने के लिए उनका उपयोग या उन्हें अवसर प्रदान कर रही है।युवा वर्ग को आगे लाने का उद्देश्य राजनिति में यही रहता है कि संगठन व युवा वर्ग का कार्य के प्रति रुची रखना जिससे राजनितिक पार्टीयां शीर्ष पर पहूंचे।
युवा देश का भविष्य भी है। भारतीय राजनिति में और देश की तस्वीर बदलने के लिए युवा वर्ग को राजनिति में सहभागिता बढ़ाना सुनिश्चित करना होगा। युवा वर्ग की नयी सोच के कारण युवा देश को विकसित राष्ट्र में राष्ट्र को स्थापित करने की शक्ति रखता है।देश की राजनिति में युवाओं की सहभागिता अत्यन्त आवश्यक है।
क्षेत्रिय राजनिति
देश की राजनिति में क्षेत्रिय पार्टियां अपने अपने क्षेत्र में अपना अपना वर्चस्व स्थापित करती है।जिससे वह अपने क्षेत्र में मजबूती के साथ खड़ी हो सके।क्षेत्रिय राजनितियों में उनके वर्चस्व के लिए निरन्तर संघर्ष जारी रहता है।वे अपने एजेंडे व विचारों के आधार पर जनता के समक्ष जाती है।क्षेत्रिय पार्टियां अपने क्षेत्र या यू कहें राज्य तक सिमित रहती है।वे एक सिमित दायरे या राज्य में ही अपनी राजनिति चमका पाती है।
राजनिति में संघर्ष
राजनिति करने के लिए हमेंशा संघर्ष जारी रखना होता है।कितने ही वर्षों के परिणाम के बाद व आपके कार्यों के आधार पर आपके भविष्य का निर्धारण होता है। आप जिस प्रकार की प्रणाली व कार्य के अनुरुप कार्य करेंगे,ठीक आपका भविष्य भी उसी प्रकार से रहेगा।राजनिति में जमीनी स्तर के लोगों से जूड़कर धीरे धीरे हमें अपने सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर होना पढ़ता है।देश की राजनिति में वैचारिक संघर्ष निरन्तर चलता रहता है।हमें उन्ही वैचारिक संघर्षों से निकलकर सफलता की राह में आगे बढ़ना चाहिए।
राजनैतिक पार्टियां
राजनितिक पार्टियां अपने वर्चस्व को कायम करने के लिए लोक लुभावन घोषणाएं या जनता को पसंद आये एेसे कार्यों की घोषणा करती रहती है। प्रत्येक राजनितिक पार्टी का अपना एक चुनाव चिन्ह होता है।जिस पर वे चुनाव लड़वाती है।चिन्ह जनता की पहचान के लिए होता है ,जिससे जनता आसानी से समझ सके के ये किस पार्टी को उसका वोट देना है।जिससे जनता आसानी से जिस पार्टी के प्रतिनिधी को वोट करना चाहती है आसानी से कर सकती है।
राजनिति में पार्टीयां किसी भी दल के साथ गठबंधन करके भी चुनाव लड़ती है।जिससे वो एक क्षेत्र में सहमती वाले प्रतिनिधी को दोनों पार्टियों की सहमती से चुनाव में उतार सके।
वर्तमान राजनिति का परिदृश्य
भारत की वर्तमान राजनिति में कई बदलाव समय समय पर होते रहें हैं। राजनिति में कौन किसका दुश्मन कब दोस्त बन जाये और दोस्त कब दुश्मन हो जाये ,कोई कुछ नहीं कह सकता है।वर्तमान राजनिति में प्रसार प्रचार का काफि महत्व होता है।प्रचार तंत्र जिस पार्टी का मजबूत होगा ,वोट बैंक का भी उस ओर झूकाव होगा,जैसा ही चल रहा है।राजनिति में जातिवाद व धर्म का बढ़ावा हो गया है।
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