दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
बालदिवस
आज देेश में चिल्ड्रन्स डे बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।बच्चों से पं.जवाहरलाल नेहरु द्वारा स्नेह रखने के के कारण इस दिन का बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है।
बालदिवस पर विशेष
बाल दिवस पर देश में मनाना तब सार्थक होगा जब हम बच्चों से बालश्रम जो ग्रामीण क्षेत्रों जैसी जगह में करवाते है,वह पूर्णत: बन्द होना चाहिए।
बालदिवस मनाना तब सार्थक होगा जब ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व अभिभावक को समझाकर वो बच्चो के प्रति जागरुक होकर शिक्षा का महत्व समझकर बच्चों के नियमित विद्यालय प्रत्येक बच्चों को भेंजेंगे तब हमारा बाल दिवस मनाना सार्थक होगा।
बच्चे मन के सच्चे होते है ।हमें बच्चों को शिक्षा के साथ साथ साथ व्यवहारिक ज्ञान देना भी अत्यधिक आवश्यक है।हमारे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो इस हेतु बालकों को सभी प्रकार से प्ररित करके उनका होंसला बढ़ाकर उन्हें आगे बढ़ने की सलाह देते रहना चाहिए।
बालको को कभी भी नकारात्मकता के माहौल में हमें नहीं रहने देना चाहिए,ना ही एेसा वातावरण परिवार में होना चाहिए।अत्यधिक सकारात्मक माहौल के साथ बच्चों को रखना चाहिए।
माताएं क्या कर सकती है-
माताओं का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर पढ़ता है इसलिए माताओं को विशेष ध्यान देने की जरुरत है।माता के बोल माता के रहन सहन खाना या छोटी छोटी बातों का बच्चों पर बहुत ज्यादा असर होता है।
बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान के प्रति माताओं को विशेष ध्यान की जरुरत है।
बालदिवस पर माताएं बच्चों को किसी अच्छे को करने के लिए प्रेरित कर उस कार्य को करवाने में सहयोग प्रदान करें।
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