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बिजनेस प्लान कैसे बनाए| Bussiness Plan kaise banaye

 बिजनेस प्लान कैसे बनाए Businesses प्लान बनाने से पहले कुछ बातों का हमे विशेष खयाल रखना चाहिए- सर्वप्रथम तो ये देखना है हम पहले से अगर कुछ छोटा मोटा काम कर रहे है या जैसा भी व्यवसाय कर रहे है, उस बिजनेस ( Bussiness) को बेहतर कैसे बना कते है यानी जो हम कर रहे है उसमे अच्छी सफ़लता क्यों नही मिल रही है हम गलती कहा कर रहे है ये देखना बहुत जरूरी है। एक सबसे बडी बात ये भी आपके व्यवसाय में जब भी आप शुरू करते है उसके आय व्यय का हिसाब आपके पास होना चाहिए,यानी की ये देखना जरुरी है कि आप ने कितने फायदा कमाया या कितना नुकसान गया, कितना उसपर खर्च आया और कितना लास्ट में बचा है,ये देखना बहुत जरुरी है। जिस काम को कर रहे हो या शुरू करना चाहते हो उसमे ये देखना आवश्यक है की उसे हम दुसरे से बेहतर या दूसरों से अलग कैसे कर सकते है या ग्राहक के समक्ष प्रस्तुत कैसे कर सकते है जिससे वो दूसरों से अलग दिखे। व्यवसाय शुरू करने की लिए निजी भवन या बिल्डिंग की जरूरत नही होती है, आप इसके किराए में ही वहा बेहतर कर सकते हो इसलिए ये विचार ना लाए की मेरे पास अच्छी बिल्डिंग नहीं है। बिजनेस ( Bussiness) हमेशा 1000 दिन म

Love(प्रेम) क्या है?

 Love(प्रेम) का शाब्दिक अर्थ

प्रेम वह बंधन है जिसको शब्दो से नहीं परिभाषित किया जा सकता है,प्रेम एक एहसास है जो एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के मन की बात या उसकी भावना बीना कुछ बोले समझ जाये वो प्रेम है।प्रेम की परिभाषा आज कुछ इस तरह वासना के रुप में देखी जाने लगी है,लेकिन प्रेम वह अहसास है वह बंधन है जो दिलों को जोड़ने का कार्य करता है।प्रेम को परिभाषित नहीं किया जा सकता है,इसे महसूस किया जा सकता है ।प्रेम भाई-भाई ,भाई-बहिन ,मां-बेटा,पति-पत्नि के बीच या संगे संबंधि या दोस्त या जिन्हें हम पसन्द करते है या जिनसे हमारे विचार मिलते है किसी के भी बीच हो सकता है।

 प्रेम पशु व मनुष्य के बीच हो सकता है।प्रेम एक माला के मोतियों की तरह रहता है जो धीरे धीरे धागे में पिरोने पर एक माला का रुप ले लेता है,अगर हल्का सा भी झटका लगता है तो प्रेम भी माला की तरह टूट के बीखर जाता है।

 मां बेटी का प्रेम(LOVE)

मां एक बेटी को जन्म देते समय कितनी ही पीड़ा भोगकर उसे जन्म देती है,फिर भी मां उस पिड़ा को भूलकर बेटी के जन्म की खुशी में उस पीड़ा को भूल जाती है,वो प्रेम ही है जिसे एक मां को बेटी के रुप में जन्मदेकर पीड़ा सहने के बाद भी उस दर्द को भूलकर खुशियों के साथ रहती है।

 ठीक वैसा ही जब थोड़ी बड़ी होने पर बच्ची कुछ शरारत या मस्ती करती है तो मां को गुस्सा आने पर वो बच्ची के गाल पर एक चाटा मार देती है ,बच्ची को दर्द होता है जोर जोर से रोती है रोती हुई भी फिर मां से लिपट कर रोती है ,वो प्रेम है जो बच्ची को चाटा मारने के बाद भी उसकी मां से ही लिपट कर रोती है ,और वो मां का ममतामयी प्यार है जो रोती हुई बच्ची के आंसू पोछकर उसे सांत्वना देती है।ये एक प्रेम(love) के सही मायने में परिभाषित करने के अच्छे उदाहरण है। 

प्रेम(love) के रिश्तों की डोर

प्रेम का रिश्ता अटूट होता है ,यह एक मजबूत डोर से बंधा रहता है,भारतीय मान्यताएं तो यहां तक की है कि पति पत्नि के रिश्ते सात जन्म तक निभाये जाते हैं यानी पुनर्जन्म में विश्वास रखकर अगले जन्म में भी दोनों का रिश्ता पति पत्नि के रुप में बना रहता है,भारतीय नारियां अपने रिश्तों को हमेंशा मजबूती के साथ निभाने के लिए हर संभव अपने रिश्तों को मजबूत करके प्रेम के रिश्तों की डोर को मजबूत करती रहती है। 

जब हम किसी को चाहते हैं या उसकी मुस्कान अच्छी लगती है ,उसका बोलना अच्छा लगता है ,उसका चलना अच्छा लगता है ,उसकी किसी भी एक चिज से हम प्रभावित होकर उसे मन ही मन में अच्छा अनुभव करते है,या हमें वो धीरे धीरे अच्छा लगने लगता है,व प्रेम का ही अंग हो सकता है,प्रेम कोई दिखने या खाने वाली चिज नहीं है ,ये महसूस करने का अहसास है।

(LOVE)प्रेम का मार्ग

प्रेम का मार्ग बहुत कठिन होता है,किसी के साथ निभाने में हमें जीवन के साथ कई समझौते करना होते हैं,हम जीवन में किसी ना किसी से प्रेम करते ही है वो मां ,पिता,भाई ,बहिन ,बेटा,बेटी,पति,पत्नि या घर के कोई सदस्य हो सकते हैं, जिन्हे हम पसंद करते है वो हमें अच्छे लगते है हमारा उनके प्रति ये अच्छा लगना ही प्रेम है।प्रेम कि परिभाषा कुछ लोग लड़का और लड़की से जोड़ कर करते है,जैसे ही इस शब्द की बात होती है ,अधिकांश लोगों की सोच वहां तक चली जाती है।

प्रेम(love) एक पवित्र रिश्ता है।

 प्रेम को  निभाने के लिए हमें झूकना, सहन करना पढ़ता है। प्रेम का रिश्ता दो दिलों क जोड़ता है,प्रेम एक खुबसूरत एहसास है,ये अटूट बंधन है ,प्रेम दो दिलों का मेल है ।जो जीवन पर्यन्त निभाया जाता है।

यह एक या दो घण्टे में निभाने वाला एहसास नहीं है ये जीवन पर्यन्त निभाने वाला दो दिलों का अटूट एहसास है।

दो अधूरे रिश्ता का एक मजबूत जोड़ है प्रेम,

सुने पड़े दो विरान दिलों का एहसास है प्रेम।।




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