शादी(marriage) क्या होती है?
शादी दो परिवारों के मध्य विपरित लिंग को पारम्परिक या स्वेच्छिक आपस में बन्धन होता है ,वह शादी होती है।शादी करने के लिए प्रेम विवाह व माता पिता द्वारा तय किया गया विवाह होता है।प्रैम विवाह में लड़की व लड़के की इच्छा से दोनो द्वारा ही शादी की जाती है और घर वाला की सहमती में (Arrenge marriage) से जो शादी होती है उसमें दोनो परिवार के सदस्यों द्वारा लड़के व लड़की को पसंद करके रिश्ता तय करके फिर शादी की जाती है।
शादी दो पवित्र रिश्तों का एक अटूट बन्धन होता है।जो भारतीय परम्परा अनुसार जीवन पर्यन्त निभाया जाता है।एक दूसरे का साथ देते हुए ईसमें जीवन यापन करते हैं,एक दूसरे के सुख दुख में साथ रहते हैं।
क्या शादी (marriage) करना जरुरी है?
यह एक सामान्य सा प्रश्न लगता है ,पर इसके अर्थ बहुत ही चौकाने वाला या फिर सोचने वाला होता है।जी हा शादी करना बहुत जरुरी होती है,अगर प्रत्येक व्यक्ति यह सोच ले की मुझे शादी नहीं करना है तो जो एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना महिलाओं के द्वारा पुरुषों के लिए होती है व पुरुषों के द्वारा महिलाओं के प्रति होती है वो हमेंशा इस बन्धन के कारण बंधी रहती है।
शादी के माध्यम से हम महिला व पुरुषों का अनुपात व परिवार की सही जानकारी के कारण हम जनसंख्या व महिला व पुरुष के अनुपात को भी व्यवस्थित बनाये रख सकते हैं।जिससे देश में संख्याओं का अनुपात नहीं गढ़बढ़ाया जा सकता है।साथ ही लम्बे समय तक परिवार के रिश्ते व पति पत्नि के रिश्ते को निभाने के लिए शादी करना बहुत जरुरी होता है।शादी होने पर आने वाली संतान का अनुपात भी हम शादी करेंगे तक ही सही कर पायेंगे।
साथ ही परिवार की खुशिया एक सुखी व खुशहाल परिवार ही ला सकता है।इसलिए परिवार के सदस्यों के साथ रहकर हम खुशी जीवन शादी करके व्यतित कर सकते हैं।
शादी के बाद क्या होता है?
शादी करने के पश्चात बहुत सारे परिवर्तन जीवन में आते हैं।शादी के बाद होता है ये जैसे ही कोई हमसे पूछता है या मन में प्रश्न आता है तो हम सिधा उसी सोच पर चले जाते हैं।परन्तु ये प्रकृति के बनाये नियम तो होना ही है,परन्तु शादी के पश्चात हमारा जीवन सुखी व समृद्ध व खुशहाल हो जाता है क्योंकि हम पहले एक थे अब हमारा साथ देने के लिए हम एक से दो हो गये हैं,और जहां हमारी ताकत बढ़ती है ।हमेंशा हमें फायदा होता है व कार्य में बढ़ोतरी होती है।
शादी करने के पश्चात हम पिता मां बनते हैं ,तब हम सही मायने में जीवन का सुख प्राप्त कर सकते हैं।हम जीवन का सही एहसास भी होता है,किस प्रकार से संतान का लालन पालन होता है।ये सब हम सिखते हैं,जिम्मेदारियां बढ़ने पर हम कमाने का सोचने लगते हैं,जिससे हम अयोग्य होते हुए भी योग्य बनने के प्रयास में लग जाते हैं।इसी प्रकार शादी करने के पश्चात बहुत सारी नई चीजें होती है।
शादी में क्या क्या कार्यक्रम होते हैं?
शादी अगर भारतीय परम्परा अनुसार होती है तो शादी हल्दी कार्यक्रम,गीत ,वन्दोरा,बिन्दोली,नृत्य ,भोजन जैसे बहुत सारे आनन्द के प्रोग्राम होते है।हल्दी कार्यक्रम में महिलाएं नृत्य करती है।बहुत सारी जगह ऐसे कार्यक्रमों में पुरुषों की आना वर्जित रहता है।
बिन्दोली जैसे कार्यक्रम में दूल्हे व दुल्हन को घोड़ी में या कार में बैठाकर घर के पास के मोहल्ले में बिन्दौली निकाली जाती है।जिसमें मिलने वाले व परिवार के सदस्य नाचते हुए ढोल बाजो के साथ निकालते हैं।
शादी का महत्व क्या है?
शादी करने से एक अच्छा परिवार हमें मिलता हैं,दो परिवारों में संबंध बनते हैं।जिससे दो अजनवी व्यक्ति अपने हो जाते हैं। रितिरिवाज व हमारी परम्परा बनी रहती है। इसलिए शादी का महत्व होता है।
शादी और विवाह में क्या अन्तर हैं?
शादी और विवाह में सिर्फ शब्दों का अन्तर है,बाकी दोनों का अर्थ एक जैसा ही होता है।सिर्फ इनमें शब्दो का ही अनत्र है बाकी कोई अन्तर नहीं होता है।
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