दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
Panghat || पनघट क्या होता है ?
ग्रामीण क्षेत्रों में आज पानी भरने के लिए औरते सुबह सुबह पानी भरने के लिए एक हाथ में बड़ी सी रस्सी व एक हाथ में स्टील का घड़ा व चवरी (बड़ा पात्र ) लेकर गांव के समीप कुआ या बावड़ी रहती है वहां पर जाती है।वहां पर रस्सी के माध्यम से पानी बावड़ी या कुई से बाल्टी की सहायता से खिंचती हैं ।जिस जगह खड़ी रहकर पानी खिचती है ,उस स्थान को या उस जगह को पनघट बोला जाता है।
Panghat || प्राचीन समय में पनघट कैसे होते थे ?
प्राचीन काल में बनाये पनघट पर आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं पानी भरती है और अब मोटर पंप अत्यधिक मात्रा में सिंचाई के लिए करने लगे है तो अब थोड़ा सा कुए का आकार बदल दिया गया है। प्राचीन समय में पनघट निर्माण में पत्थरों व चूना पत्थर का प्रयोग किया जाता था उसी के माध्यम से उसका निर्माण होता था ।साथ ही बड़े आकार की पत्थर की पतली स्लाईड जैसी पट्टी को काटकर रखा जाता था,व मजबूत नीचे सहारे के लिए भी पट्टी का लगाई जाती थी। व वहां पर खड़े रहकर महिलाएं पानी भरने का कार्य करती है।
Panghat || पनघट की पणहारन (पणहारी ) किसे कहा गया हैं?
जब पनघट पर महिलाएं अपनी देशी वेष भूषा में पानी भरने जाती है तो वे अपनी वेषभूषा के माध्यम से सभी को कुछ लोक लुभावनी लगती है।जिसके कारण उनको पनघट की पणहारन बोला जाता है।मतलब की जो महिलाएं पानी भरने जाती हैं ,उन्हें ही पणहारी बोला जाता है।
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