दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
प्रेम एक एहसास कैसे होता है?
प्रेम का एहसास आन्तिरिक भावों से उत्पन्न होकर व्यक्ति की खुशी मन्डल पर प्रदर्शित होने लगती है।वही प्रेम का सच्चा अहसास है। प्रेम का रिश्ता बहुत ही मजबूती से निभाने वाला एक बंधन है । प्रेम के एहसास दो दिलों को जोड़ने का कार्य करता है। प्रेम में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है।यह समानता व अपना पन का एहसास कराता हैै। हम अपने प्रिय या मन को अच्छा लगने वाले व्यक्ति के मन की बात या मन के एहसास को हम आसानी से जान लेते हैं।
प्रेम एक अहसास के साथ मजबूत रिश्ते का प्यारा सा अहसास है।
प्रेम करने के लिए या प्रेम को एहसास हम तब कर सकते हैं जब हम जिस व्यक्ति को ज्यादा पसंद करते हैं।उसे देखकर मन में कुछ अच्छा व अलग ही आनन्द या खुशी का अनुभव होता है। वही वास्तव में प्रेम का अहसास होता है। हम वो एहसास हमारे परिवार में किसी सदस्य के साथ हो सकते है।जैसा सभी माताओं के प्रिय अपने बच्चे रहते है।उनका ममतामयी एहसास उन्हें आन्तरिक खुशी का अहसास कराती है।ये एक प्रेम का अहसास ही है।ऐसे ही प्रेम का अहसास महसूस हम अपनों के साथ कर सकते हैं।
प्रेम एक अहसास है कैसे बता कर सकते हैं ?
हमारे प्रति सामने वाला कितना सोचता है या हमारे मन के भावों को कितना समझता है । यह वही एहसास है जो अपना ही समझ सकता है। जब हम अपनों को मुसिबत में या किसी मदद के लिए कहते हैं वो हमारी भावना समझ कर ही हमारी मदद कर देते हैं। ऐसा हमारे मन के एहसास को समझ ले वही हमारे एक अच्छा हितेशी या शुभचिंतक हो सकता है।
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