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दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए| Do Dilon Ka rishta

 दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है।  दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।

मेरी सफलता का राज क्या है ? Safalta ka Raj Kya H?

 मेरी सफलता का राज क्या है?

जीवन के उतार चढ़ाव में जिन्दगी हमेंशा सफलतम लोगों को याद रखवाती है।जिस सफलता के मूलमंत्र में हम अपनों का साथ देते हुए कुछ नया करने का संकल्प लेकर कार्य करने में विश्वास रखता हूं।मैं जब भी ज़िन्दगी के पल पल बदले नियमें में उलझता हूं तो हमेंशा सकारात्मक होकर जीवन को खुशी खुशी कैसे आगे व्यतीत करने उसके लिए मजबूत हो जाता हूं। मैं हमेंशा अपने कंधो को मजबूत रखता हूं ,दूसरों को दोष देकर या बहाने बनाने का प्रयास नहीं करता हूं के मेरे ये काम आ गया था ,मैं इस वजह से ये नहीं कर पाया हूं।मैं यह नहीं कर पाया हूं क्योंकि ऐसा हो गया था।मैं हमेंशा अपने कार्य के प्रति जबाबदेही लेकर गलती को स्वीकार्य करता हूं।

Success | मेरी सफलता का मूलमंत्र क्या है?

मेरी सफलता की शुरुआत बिस्तर से उठने के समय से शुरु हो जाती है। क्योंकि में सुबह 5 बजे प्रतिदिन उठ जाता हूं। क्योंकि दिनचर्य प्रभावित ना हो व आगे के कार्यों में विलम्ब ना हो।उसके पश्चात योग व दौड़ करके दिनभर शरीर सुस्त ना रहे उसके लिए पहले से तैयार हो जाता हूं।अब तैयार हैं संघर्ष के लिए ।हम असफलता में आशा लेकर विश्वास के साथ कार्य को करने के लिए पूरी मजबूती के साथ कार्य को शुरु कर देता हूं। हम अपने कार्य को शुरु करने के लिए किसी समय का इंतजार ना करके कार्य को शुरु कर देता हूं।

Success | मेरी सफलता की कहानी 

मैं जब पढ़ने जाता था तो किचड़ में पाव भरे हुए,किचड़ से भरा रास्ता उसपर साईकिल चलाना व कपड़ो का ध्यान रखना व बेग का ध्यान रखना बैग भी कौन सा एक थेली आती थी वो थैली रखते थे हम उसमें बुक लेकर 3 कि.मी. की यात्रा रोज करना यानी रोज आना व जाना साईकिल पर ही होता है।फिर वहां से शिक्षा करके कॉलेज किया ।फिर उसके पश्चात धीरे धीरे हमारे छोटे व्यवसाय प्रारंभ किये । जिससे धीरे धीरे हम सफलता की ओर बढ़ रहे।जीवन में संघर्ष ही सबसे महत्वपूर्ण है ,संघर्ष के बीना सब अधूरा है।आज भी हमारा संघर्ष जारी है कितनी भी समस्या हो पैसा का इंतजाम हो या ना हो फिर भी हम कार्य के प्रति लापरवाह ना रहकर बहाने ना बनाकर कार्य को करना प्रारंभ कर देते हैं।

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