दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
पड़ोसन के साथ हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए|
पड़ोसी हमेंशा हमारे सुख दुख में ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी साथ निभाते हैं।उनके साथ हमारा मित्रवत व्यवहार हमेंशा बना रहना चाहिए।क्योंकि परिस्थितियों या किसी प्रकार की मदद की जरुरत होना पर हमारा साथ पड़ोसी ही देते हैं।हमारे किसी प्रकार की आज के समय में भी आवश्यकता होने पर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी घर का राशन पानी में कुछ सामग्री खत्म होने पर पड़ोसी से लिया जाता है ? क्योंकि गांव से बाजार दूर रहता है।जब वह बाजार जाते है उस समय उक्त सामग्री लाकर फिर से पड़ोसन को दे दी जाती है।
इस प्रकार से पड़ोसन या पड़ोसी हमारे लिए सहयोगी के रुप में होते हैं। हमारा व्यवहार उनके प्रति हमेंशा पारिवारिक व मित्रवत रहना चाहिए।जिससे हमें किसी समय जरुरत या फिर स्वार्थ ना साधते हुए हमें मानवता पर जो विश्वास जो धीरे धीरे समाप्त सा होता जा कहा है।वह बना रहे इसीलिए हमारा व्यवहार अच्छा होना चाहिए।
पड़ोसन भाभी की कहानी
जब हमारे घर में किसी चिज की आवश्यकता होती है तो मैं अपने पड़ोस की भाभी से सहायता लेने पहूंच जाता हूं।वो भी बड़े नटखट हैं जब भी उन्हें आवश्यकता लगती है ,तो पहूंच ही जाते हैं।एक बार जब मैं चीनी लैने गया तो भाभी जी नहाने लग गये तो मेंने जैसी अन्दर प्रवेश किया और आवाज लगाई तो उन्होंने भी आवाज देकर कहा की कुछ समय तो रुकिये मैं आ रही हूं। फिर भाभी जी तैयार होकर आते है और मैरे लिये गरमा गरम चाय बनाते हैं। मुझे चाय पिलाते हैं और मूझे जो चीनी की आवश्यकता रहती है वह लेकर मैं अपने घर लौट आता हूं।तो हमारे पड़ोस के भाभी जी भी बड़े अच्छे हैं जो हमारी मदद समय समय पर करते हैं इस प्रकार से हमारे गांव में पड़ोसन हो या पड़ोसी हो हमेंशा एक दूसरे के साथ खड़े रहते है साथ देते है।
पड़ोसन का खेल
पड़ोसन कितने ही खेल भी खेलती है । पड़ोसन को जितना अच्छा समझते हैं कभी कभी उतना ही समस्या भी पैदा करते हैं। पड़ोसी के द्वारा हर छोटी छोटी बाते जैसे झाडू का कचरा निकालते समय एक दूसरे की ओर कचरा खिसकाने के कारण से भी लड़ाई हो सकती हैं। इसलिए पड़ोसी की ये समस्या रहती है।
ये लेख लिखने का तात्पर्य यही था कि हमें पड़ोसी या पड़ोसन के लिए नहीं उलझना है ,ऐसी छोटी छोटी बातों के लिए हम अपने भविष्य को प्रभावित कर देते हैं।हमारा भविष्य कल का आने वाला अपना बेहतर कल बना सकता है।जो हमें ऊचाईयो पर ले जा सकता है ।इसलिए पहला हमारा कार्य इन सब समस्याओं से दूर रखकर बेहतर भविष्य निर्माण करना चाहिए।
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