दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
खुद को ब्रांड कैसे बनाये ?
जीवन में हम ब्रांडेड ब्रांडेड करते रह जाते हैं,ये पहनो ब्रांडेड पहनो पर साथ में हमें भी खुद को ब्रांड बनाना है।क्योंकि हम जैसेआचरण विचार व संगत रखते है तो हमारे प्रति वैसा ही लोगो का दृष्टिकोण हो जाता है। अगर हमारे संगत से लगाकर अपने कार्य शैली कुछ अलग व शशक्त होगी ,तो आप वैसे ही ब्राड बन जाओगे। लोग आपके उदा.देने चाहिए,कि बन्दा हो तो ऐसा होना चाहिए। जिससे वह अपने कार्य से इतना विश्वनीय हो जाये कि लोग आंख बन्द करके आप पर विश्वास करलें, क्योंकि जिस प्रकार लोग किसी कंपनी की ब्रांड को आंख बन्द करके खरीद लेते हैं वैसे ही लोग भी आप पर आंख बन्द करके भरोसा कर लेना चाहिए,लोगों को लग जाना चाहिए कि आप अपनी बात से मुखरोगे नहीं,कभी भी धोखा नहीं दोगे,आप भरोसा नहीं तोडोगे ,तो लोग आप पर भरोसा करके आपको ब्रांड समझेंगे,आप का मान सम्मान व ओहदा बढ़ जायेगा,जहां जाओगे लोग आपका सम्मान करेंगे,हमेंशा छाओगे ही नहीं छाये रहोगे हमेंशा,आप एक ब्रांड बने रहोगे,काम ऐसा करिये लोग सोचने पर मजबूर हो जाये।
जीवन में ब्रांडेड कार्य क्या है ?
मेरे अनुसार जीवन में ब्रांडेड कार्य वही है ,जब आप रास्ते पर जाते हुए किसी भूखे को भूखा देख उसे खाना दे सको ,तो आप दुनिया की नजरों में हीरो हो जाओगे।आपके व्यवसाय करने के तरिके ऐसे हो जहां असंभावनाओं की अपार संभावनाएं रहती है, वहां पर भी आप संभावनाओं को तलाशते है ,असली "ब्रांडेड मैन" वही होता है।जहां उसे विषम परिस्थिति में भी सफलता की आशाएं खोज कर कार्य करता रहता है ।जीवन में असली ब्रांडेड कार्य यही होता है।
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