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दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए| Do Dilon Ka rishta

 दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है।  दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।

परिवर्तन प्रकृति का नियम है || Parivartan Prakrati Ka Niyam H

 परिवर्तन प्रकृति का नियम है।

जिस प्रकार से प्रकृति स्वयं में बदलाव करती है ।समय समय पर अपने रुप में बदलाव लाती है कभी पतजड़ का मौसम तो कभी गर्मी का समय तो बरसात का तो कभी ठंड का मौसम आने से प्रकृति का सौन्दर्य इस हरियाली से है वो इस परिवर्तन से हमेंशा बनी रहती है ।ठीक उसी प्रकार से व्यक्ति को भी स्वयं में या उसके कार्यों में बदलाव करते रहना चाहिए।
प्रकृति की सुंदरता की तरह आपका व्यवसाय भी प्रकृति की तरह हमेशा खिलखिलाता रहे इसलिए जीवन में हमेशा परिवर्तन करते रहना चाहिए ।जीवन में बदलाव अत्यन्त आवश्यक है जो व्यक्ति अपने व्यवसाय या कार्य में अपडेशन नहीं लाता है वह स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं।

परिवर्तन या अपडेट नहीं होने पर हमें क्या नुकसान होता है ।

आधुनिकतम बनना हमारे लिए बहुत अधिक फायदेमंद है । जीवन में हमें समय के साथ स्वयं अपडेट करते रहना चाहिए, ताकि हमारा व्यवसाय अच्छा चल सके । जिस प्रकार से हम किसी वस्तु या लौहे को एक जगह ज्यादा समय तक रखने पर उसकी वैद्यता समाप्त हो जाती है ठीक वैसे ही हम स्वयं या व्यवसाय या जिस क्षेत्र में कार्य करते हैं। तो उस क्षेत्र में प्रगति अच्छी होने लगती है। हम अपने कार्य को निरंतर अच्छा बनाये रखने के लिये हमें हमारे कार्य को अद्यतन करते रहना चाहिए ।

 परिवर्तन करने के लिए हमें क्या करना चाहिए ।

हमारे जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। हमें कुछ नया और अच्छा करने के लिए हमारे व्यवसाय में परिवर्तन के लिए हमें नए-नए आईडियाज लगाने चाहिए ,जिसके माध्यम से हम आसानी से हमारे व्यवसाय कार्यक्षेत्र में आसानी से बदलाव ला सकते हैं परिवर्तन सतत चलने वाली प्रक्रिया है ,जिसके माध्यम से प्रकृति हो या फिर हमारा व्यवसाय हो लंबे समय तक कार्य करने के लिए उसमें परिवर्तन किया जाना चाहिए, आधुनिकतम प्रकृति को अपनाना पड़ता है, हम अगर उनमें बदलाव नहीं करते हैं तो हम धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं ,परिवर्तन करने के लिए हमें नए प्रकार की सोच नए आइडिया और हमारे जो सोचने का तरीका है उसमें आधुनिकतम कार्य लगना चाहिए और नया लगना चाहिए ताकि जो आने वाली पीढ़ी आपके कार्य से प्रभावित रहे।

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