दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
यात्रा सफर की शुरुआत कुकड़ेश्वर से शुरु
हम सभी दोस्त हमारी यात्रा प्रारंभ करने के लिए हमारा जो ग्रह क्षेत्र के पास जो नगर पड़ता है कुकड़ेश्वर यहां इकट्ठे होते हैं,हमारी यात्रा प्रारंभ करने के लिए हम उस गाड़ी का हम इंतजार कर रहे हैं। प्रातः 10:00 बजे से लेकर 3:00 बजे तक हम गाड़ी का इंतजार करते रहते हैं। दोस्त दोस्त होते हैं कभी सही से बताते नहीं और यह दोस्तों के बीच चलता रहता है 10:00 बजे से उनका यह कहना कि हम बस 10 मिनट में आपके पास पहुंच रहे हैं , वह 10 मिनट उनके 3:00 बजे तक पूरे होते हैं और 3:00 बजे के लगभग वह हमारे पास गाड़ी लेकर पहुंचते हैं हम सब दोस्त हमारे क्षेत्र कुकड़ेश्वर से बैठकर हमारी यात्रा प्रारंभ होती है।
यात्रा के सफर का अगला पढ़ाव
हमारे एक और मित्र जो रास्ते में इंतजार कर रहे थे उन्हें हमने रास्ते में जो यहां से 7 किलोमीटर दूर पड़ता है कुंडालिया गांव से हमारी जो गाड़ी है उस गाड़ी में बिठाते हैं। और हम सब अगले यात्रा की ओर बढ़ते रहते हैं। हंसते मस्ती के साथ हम चारपहिया वाहन में जो हमारा शहर आता है रामपुरा वहां गाड़ी को रोक लेते हैं। वहां से जो हमारे दोस्तों ने "मन की बात जूबान पर लाने की " चिज लेते हैं । और हम वहां से हमारी यात्रा का निरन्तर रखते हैं । उनमें से एक मित्र ने उस चिज का सेवन करने के लिए आग्रह किया जो मन के भावो को बाहर व समस्त प्रकार की टेंशनों को भूलाकर निंद की अनुभूति ला देती है और निंद्रा अच्छी भी आती है। का स्वाद लेते हुए हम फिर वहां से चल कर आगे चलते हैं ।
यात्रा के सफर में गांधीसागर पर बना वोट क्लब का वृतांत
हम सब लगभग यहां से लगभग 70-80 किलोमीटर आगे जो गांधीसागर पर बना बोट क्लब है पर हम सब जाते हैं और वहां देखने के लिए रसीद है या टिकट लेते हैं। टिकट लेकर हम अंदर प्रवेश करते हैं। अंदर प्रवेश करने पर वहां का जो नजारा मन को लुभा देता है। और मन को आत्मशांति मिलती है और वहां का जो प्राकृतिक मनोरम दृश्य देखकर जिस आनन्द की अनुभूति होती है, जो मन मस्तिष्क को प्रफूल्लित कर देता है। हम सब लोगों ने वहां पर मोबाइल से फोटो खिंचे व सेल्फीयां का आनंद लिया । साथ ही वहां पर बोट क्लब पर "मालवा क्वीन" के नाम से बड़ी वोट है, इसमें अधिक पैसेंजर रहते हैं तो उस में बिठा कर घुमाया जाता है, जो भी वहां का शुल्क है जमा करके घुमाया जाता है,साथ में ही कम संख्या अपने साथ में है तो छोटी वोट में बैठकर वहां का जो शुल्क जमा करवा कर उसका आनंद भी ले सकते हैं।
यात्रा के सफर का अगला पढ़ाव हिंगलाज रिसोर्ट
यात्रा के अंत में हम पहुंच जाते हैं हिंगलाज रिसोर्ट जहां पर बहुत सारे लोग घूमने के लिए आते हैं तो हम वहां पहूंच जाते हैं और हमारे मित्र के द्वारा सबकी वहां पर भी टिकट ली जाती है और टिकट लेने के पश्चात हम वहां पर अन्दर प्रवेश करते हैं। अंदर प्रवेश करने के पश्चात साफ-सफाई दिखती है, व बहुत सारे अच्छे-अच्छे पौधे व फुलवारी दिखती है। वहां पर आप जो रेस्टोरेंट है वहां पर रात्रि विश्राम कपल के लिए उपलब्ध है, वहां के कमरे का किराया हमें वहां पर जमा करवाकर हम वहां पर रुक सकते हैं । आपके चाय पानी के साथ खाने पीने की चीजें भी उपलब्ध है। अच्छा आप को पीने का पानी मिल जाएगा। वह शौचालय की व्यवस्था है और साथ में ही हिंगलाज रिसोर्ट में जो गांधी सागर डैम बना हुआ है इसका छोटा सा मॉडल बनाया हुआ है,आप वहां जाकर के वह भी देख सकते हैं छोटा सा उसका मॉडल बना रखा है। पुरा आप वहां देख सकते हैं ।वहां से गांधीसागर का पूरा दृश्य आसानी से दिख जाता है। बच्चों के खेलने की सामग्री भी वहां पर उपलब्ध है।वहां की दिवालों पर मिट्टी को लेप लगाया हुआ जो पूरे प्राकृतिक माहौल की अनुभूति कराता है ।
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