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सच्चा प्रेम कैसा होता है?

 सच्चा प्रेम कैसा होता है  प्रेम को अगर देखा जाए तो वास्तविकता में उसे कोई परिभाषित नहीं कर सकते है, प्रेम एक ऐसा एहसास और अटूट बंधन है अगर सच्चा और दिल से किया गया प्रेम हो तो वो कभी खत्म नहीं होता है।   बहुत सारे लोग कहते है या सोचते है कि प्रेम था पर अब उससे नफरत होने लगी है, अब में उसकी शकल भी नहीं देखना चाहते है, असल में वो प्रेम था ही नहीं, जिसके बारे में सोचकर या उसे देखकर नफरत होने लगे या उसकी गलती के कारण भी नफरत होती है तो असल जिन्दगी में वो प्रेम था ही नहीं, जहां प्रेम होता है वहां ऐसे विचार ये शब्द ही नहीं होते है। इसलिए सच्चा प्रेम जीवन पर्यंत रहता है , जो अलग होने पर भी नफरत नहीं बस प्रेम दिखता है। प्रेम एक अटूट बंधन होता है।  प्रेम कभी भी कुछ घंटे या कुछ दिन या फिर कुछ सालों का रिश्ता या एहसास नहीं होता है,ये हमेशा के लिए शारीरिक इच्छा की पूर्ति के लिए नहीं वरन जिसको महसूस किए जाने वाले रिश्ते में बंधा हुआ एक प्यारा सा एहसास है। ये टूटने या कम होने जैसा बंधन या रिश्ता या एहसास नहीं है। मेरे हिसाब से प्रेम को परिभाषित ही नहीं किया जा सकता है, क्...

परिवार से कैसे लड़ सकता हूं। pariwar se kaise ladh sakta hu

 परिवार से लड़ना मुश्किल है ।

हमे इस प्रकार की सोच जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ने देगी ,जब हमारे अंदर दूसरे के प्रति या परिवार के के प्रति द्वेष भावना आने लगती है तो हमारी प्रगति समझो वही रुक गयी हो क्योकि हमे ये सोच कुछ करने नहीं देगी की परिवार से कैसे लड़ सकता हु ,जबकि हमे किसी प्रकार की समस्या होती है तो आपस में सामंजस्य बिठा कर ही उस समस्या का निराकरण किया जा सकता है | हमे किसी भी उल्जन में ना पढ़ते हुए समस्या के समाधान पर चिंतन करना चाहिए | 
       परिवार ही हमारी ताकत होता है परिवार के बिना हमारी शक्ति कमजोर हो जाती है| जिस प्रकार से कमजोर व्यक्ति को हमारा विश्वास मिल जाता है ,तो दुगनी ताकत या आत्मविश्वास दुगना हो जाता है ,ठीक उसी प्रकार से परिवार तो फिर भी अपना होता है सोचो अपनी ताकत कितना गुना बढ़ सकती है जब परिवार साथ हो | 
 इसीलिए परिवार से अलग रहने की कभी सोचना भी नहीं चाहिए ,क्योकि परिवार ही हमारी ताकत होता है हमारी शक्ति होती है ,मुसीबत में वही आपके साथ खड़ा रहता है, परिवार ही हमारे लिए सर्वोपरि होना चाहिए| 

परिवार के साथ ताल मैल कैसे बैठाये ?

परिवार में जब किसी पिता के दो या तीन संताने होती है तो सामान्य रूप से उनमे अच्छा व्यव्हार और सब कुछ ठीक चलता है ,परन्तु जैसे ही या तो उनकी शादी होती है या फिर किसी एक की नौकरी लग जाये या एक कमाने लग जाये या फिर शादी होने के पश्चात् उनकी पत्नियन की नहीं बनती है ऐसी िस्थति में परिवार में विवाद या फिर मतभेद शुरू हो जाते है | ऐसे स्थति में परिवार टूटने लगता है | 
         इस तरह की स्थति पैदा होने पर जो विवाद पैदा क्र रहा है या तो वो या फिर जिसके साथ विवाद हो रहा है दोनों मेसे किसी एक को जब विवाद की स्थति पैदा होती है तो उसे शांत रहने में ही फायदा होता है | या पीछे हठ जाना चाहिए| और जो विवाद हो रहा है या जिसके लिए विवाद हो रहा है उसको कैसे निराकरण किया जा सकता है उसके ऊपर चिंतन करके उसे हल करना ही सर्वश्रेष्ठ ताल मेल या समाधान होगा | 

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