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दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए| Do Dilon Ka rishta

 दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है।  दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।

परिवार से कैसे लड़ सकता हूं। pariwar se kaise ladh sakta hu

 परिवार से लड़ना मुश्किल है ।

हमे इस प्रकार की सोच जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ने देगी ,जब हमारे अंदर दूसरे के प्रति या परिवार के के प्रति द्वेष भावना आने लगती है तो हमारी प्रगति समझो वही रुक गयी हो क्योकि हमे ये सोच कुछ करने नहीं देगी की परिवार से कैसे लड़ सकता हु ,जबकि हमे किसी प्रकार की समस्या होती है तो आपस में सामंजस्य बिठा कर ही उस समस्या का निराकरण किया जा सकता है | हमे किसी भी उल्जन में ना पढ़ते हुए समस्या के समाधान पर चिंतन करना चाहिए | 
       परिवार ही हमारी ताकत होता है परिवार के बिना हमारी शक्ति कमजोर हो जाती है| जिस प्रकार से कमजोर व्यक्ति को हमारा विश्वास मिल जाता है ,तो दुगनी ताकत या आत्मविश्वास दुगना हो जाता है ,ठीक उसी प्रकार से परिवार तो फिर भी अपना होता है सोचो अपनी ताकत कितना गुना बढ़ सकती है जब परिवार साथ हो | 
 इसीलिए परिवार से अलग रहने की कभी सोचना भी नहीं चाहिए ,क्योकि परिवार ही हमारी ताकत होता है हमारी शक्ति होती है ,मुसीबत में वही आपके साथ खड़ा रहता है, परिवार ही हमारे लिए सर्वोपरि होना चाहिए| 

परिवार के साथ ताल मैल कैसे बैठाये ?

परिवार में जब किसी पिता के दो या तीन संताने होती है तो सामान्य रूप से उनमे अच्छा व्यव्हार और सब कुछ ठीक चलता है ,परन्तु जैसे ही या तो उनकी शादी होती है या फिर किसी एक की नौकरी लग जाये या एक कमाने लग जाये या फिर शादी होने के पश्चात् उनकी पत्नियन की नहीं बनती है ऐसी िस्थति में परिवार में विवाद या फिर मतभेद शुरू हो जाते है | ऐसे स्थति में परिवार टूटने लगता है | 
         इस तरह की स्थति पैदा होने पर जो विवाद पैदा क्र रहा है या तो वो या फिर जिसके साथ विवाद हो रहा है दोनों मेसे किसी एक को जब विवाद की स्थति पैदा होती है तो उसे शांत रहने में ही फायदा होता है | या पीछे हठ जाना चाहिए| और जो विवाद हो रहा है या जिसके लिए विवाद हो रहा है उसको कैसे निराकरण किया जा सकता है उसके ऊपर चिंतन करके उसे हल करना ही सर्वश्रेष्ठ ताल मेल या समाधान होगा | 

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