दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
प्रेम में वो ताकत जिसका ऐहसास ऐसे होता है।
हमेंशा व्यक्ति यह सोचता है उसकी भूजाओं में बहुत ताकत है, वह किसी से भी लड़ सकता है।असल में सच यह होता है कि किसी को झूकाने के लिए ताकत नहीं प्रेम की जरुरत होती है। प्रेम वो चिज है जिससे बड़े से बड़े सुरमा को झूकने के लिए मजबूर कर देती हैं।
मुहब्बत से पूकारोगे, तो दिल से दोड़े चले आयेंगे।वरना हम वो चिज है ग़ालिब, पूरा जमाना भी सामने खड़ा होगा भीड़ जायेंगे।
प्रेम से दुनिया कैसे जीती जा सकती है।
प्रेम में दुनिया को जितना बहुत कठिन होता है।यह कला आपके अन्दर है तो दुनिया आपको बहुत खुबसुरत लगेगी व दुनिया को आप भी खूबसूरत लगोगे। प्रेम से दुनिया को जितने के लिए प्रेम की जरुरत होती है। प्रेम जितना बाटोगे, प्रेम उतना ही बढ़ेगा।
प्रेम का तात्पर्य लड़का व लड़की का प्रेम ही नहीं होता है, बल्कि हर उस रिश्ते में प्रेम होता है, जिसमें अपने पन का एहसास होता है।
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