दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
बेटी तू सब कुछ कर सकती है ।
ना रुके तू, ना झूके तू ,
बढ़ती जा जैसे, जैसे चलता पथिक है,
तोड़ उन बंदिशों को, जमाना जिनके खिलाफ है।
जय जय कार करवाना चाह ना रखना,
करना ऐसा काम है तूझे,जिससे देश का नाम हो।
डरकर अपनी राह ना बदल तू,,
जैसे खड़ी रह पर्वत सी अडिग तू ।
इतिहास पढ़ना नहीं, इतिहास बनाना है,
जीवन के हर पथ पर स्वाभिमान सजाना है।
ना रुके तू, ना झूके तू,, इतिहास तूझे बनाना है ।।
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