खुद को नियंत्रित कैसे रख सकते है | जीवन में हम हमेशा किसी कार्य को लेकर या कुछ ऐसा हमारे साथ गठित हो जाता है जिससे हम स्वयं को नियंत्रित नही कर पाते है | हम ऐसे परिस्थिति में कुछ गलत कदम उठा लेते है ऐसे में हमे क्या करना चाहिए | उसके लिए हम कुछ टिप्स आपसे शेयर करेंगे | हमे हमारी मनः स्थति को सय्यमित रखने के लिए हमे सबसे पहले धैर्य रखना चाहिए | धैर्य आपकी उस स्थति के परिणाम को कुछ अच्छी जगह पर ही लेकर ही जायेगा | इसलिए जब भी कुछ ऐसी विपरीत परिस्थितियां बनती है उसमे हमे घबराना नहीं चाहिए | हड़बड़ाहट में हम हमेशा कुछ न कुछ गलती कर बैठते है | इसलिए कुछ भी ऐसा होने पर या तो क्रोध को स्वयं पर हावी न होने दे या दुःख की परिस्थिति बनती है तो स्वयं को ऐसा फील होने से रोके की में अंदर से टूट चूका हु या अब में कुछ नहीं कर सकता हूँ | हमारे मन में उस कमी को जिसे हम पाना चाहते है या किसी चीज जिसे हमे पाने क लिए प्रयास किया था उसके खोने या कम होने पर मन में ये विचार लाना चाहिए की जो गया हे शायद वो हमारे लिए ठीक नहीं था मुझे जिंदगी उससे भी कुछ अच्छा देने जा रही है इसी लि
जीवन में सिखने का लक्ष्य कैसे बनाये?
जीवन में व्यक्ति स्वयं कभी परिपूर्ण नहीं होता है ।उसे ऐसा कभी मानना या सोचना भी नहीं चाहिए कि मैं परिपूर्ण हूँ। सतत् जीवन में सिखने की प्रवृति बनाये रखना चाहिए, स्वयं में ये अभियान नहीं रखना चाहिए कि मैं अन्य से क्यों सिखूं, जब हमें छोटे बच्चे से भी अगर कुछ सिखना मिलता है तो सिख ले लेना चाहिए क्योंकि जीवन में हमेंशा सिखने की प्रवृति बनाने से हमें बढ़े लक्ष्य की प्राप्ति होती है।जीवन अगर सिखने का लक्ष्य बनाते हैं तो हम बढ़ी सफलताओं को पार कर जीवन में प्रगति मार्ग पर बढ़ते है।
जीवन में सिखना एक कला है।
हम देखते हैं कि व्यापारी लोग या व्यापार से जूड़े लोग देश विदेश की यात्राएं अधिक करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य रहता है, भ्रमण के दौरान सिखने वाले नये नये अनुभवों का लाभ उन्हें मिलता रहे । नये नये अनुभव से नित नया सिखने को मिलता है। जिन लोगो में सिखने की आदत होती है वे जिज्ञासा प्रवृति के लोग होते हैं, जिनमें इस प्रकार की कला रहती है।जिससे वे नया सिखते रहते हैं, इसलिए कहा गया है कि जीवन में सिखना एक कला है ।
सिखना कहा से सिख सकते हैं ।
हमेें सिखना या जीवन के उपयोग की जो बाते है वे हमें जीवन में घटित होने वाली घटनाओं के अनुभव के आधार पर सिखने को मिलती है। इसलिए सिख ये कहना की कहा से मिलती है तो इसकी कोई सिमित या स्थायी जगह नहीं है जहां से हम सिख सकते हैं ये तो जीवन में घटित घटनाओं का अनुभव होता है। जिनसे हमे सिखना मिलता है।
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