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सच्चा प्रेम कैसा होता है?

 सच्चा प्रेम कैसा होता है  प्रेम को अगर देखा जाए तो वास्तविकता में उसे कोई परिभाषित नहीं कर सकते है, प्रेम एक ऐसा एहसास और अटूट बंधन है अगर सच्चा और दिल से किया गया प्रेम हो तो वो कभी खत्म नहीं होता है।   बहुत सारे लोग कहते है या सोचते है कि प्रेम था पर अब उससे नफरत होने लगी है, अब में उसकी शकल भी नहीं देखना चाहते है, असल में वो प्रेम था ही नहीं, जिसके बारे में सोचकर या उसे देखकर नफरत होने लगे या उसकी गलती के कारण भी नफरत होती है तो असल जिन्दगी में वो प्रेम था ही नहीं, जहां प्रेम होता है वहां ऐसे विचार ये शब्द ही नहीं होते है। इसलिए सच्चा प्रेम जीवन पर्यंत रहता है , जो अलग होने पर भी नफरत नहीं बस प्रेम दिखता है। प्रेम एक अटूट बंधन होता है।  प्रेम कभी भी कुछ घंटे या कुछ दिन या फिर कुछ सालों का रिश्ता या एहसास नहीं होता है,ये हमेशा के लिए शारीरिक इच्छा की पूर्ति के लिए नहीं वरन जिसको महसूस किए जाने वाले रिश्ते में बंधा हुआ एक प्यारा सा एहसास है। ये टूटने या कम होने जैसा बंधन या रिश्ता या एहसास नहीं है। मेरे हिसाब से प्रेम को परिभाषित ही नहीं किया जा सकता है, क्...

अपने सपनो को जिन्दा रखिए ? Sapno ko jinda rakhiye ?

 अपने सपनो को जिन्दा कैसे रख सकते है ?

सपनो की उड़ान को जिन्दा रखने के लिए हमारे अंदर के सपनो को जिन्दा रखिये | जब तक हमारे सपने जिन्दा है हम सपनो को साकार कर सकते है | जब तक हम हमारे पास से नकारात्मक ऊर्जा से दूर नहीं रहेंगे हम सपनो की उड़ान नहीं भर सकते है | 
         जब हम कुछ कार्य करते है और उन कार्यो को पूरी लगन से नहीं करते है या हमारा काम करने में मन नहीं लगता है|  तो समझ लीजिये हमारे अंदर सपने नहीं है | जब तक हमारे अंदर सपनो की उड़ान भरने के लिए लगन और पूरी शिद्द्दत से  काम नहीं करते है तो हम सपनों को साकार नहीं कर सकते हैं। सपने जिंदा है तो आदमी मेहनत करता है, सफ़लता प्राप्त करने के लिए जी जान लगा देते है, जो व्यक्ति निराश और हताश है कुछ नया करने की उम्मीद ही नही रही तो सोच लीजिए उसके अंदर सपने जिंदा नहीं है।

सपने जिंदा रखने क्यों जरूरी है?

निराशा आदमी को जिंदा लाश की तरह बना देती है। जीवन में जिन व्यक्तियों में उम्मीद समाप्त हो जाती है, जैसे अनेक कारण हो सकते है उसके निवारण के लिए मन के एक कोने में सपनो को जिंदा रखना आवश्यक होता है। सपनो को जिंदा रखना इस लिए आवश्यक की उससे फिर उम्मीद की किरण खिलती है, निराश व्यक्ति फिर से अपनी सपनो को ढूंढने निकल पढ़ता है, उसके सपनों में जान आ जाती है इसलिए सपनों को जिंदा रखना जरूरी है।

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