बिजनेस प्लान कैसे बनाए Businesses प्लान बनाने से पहले कुछ बातों का हमे विशेष खयाल रखना चाहिए- सर्वप्रथम तो ये देखना है हम पहले से अगर कुछ छोटा मोटा काम कर रहे है या जैसा भी व्यवसाय कर रहे है, उस बिजनेस ( Bussiness) को बेहतर कैसे बना कते है यानी जो हम कर रहे है उसमे अच्छी सफ़लता क्यों नही मिल रही है हम गलती कहा कर रहे है ये देखना बहुत जरूरी है। एक सबसे बडी बात ये भी आपके व्यवसाय में जब भी आप शुरू करते है उसके आय व्यय का हिसाब आपके पास होना चाहिए,यानी की ये देखना जरुरी है कि आप ने कितने फायदा कमाया या कितना नुकसान गया, कितना उसपर खर्च आया और कितना लास्ट में बचा है,ये देखना बहुत जरुरी है। जिस काम को कर रहे हो या शुरू करना चाहते हो उसमे ये देखना आवश्यक है की उसे हम दुसरे से बेहतर या दूसरों से अलग कैसे कर सकते है या ग्राहक के समक्ष प्रस्तुत कैसे कर सकते है जिससे वो दूसरों से अलग दिखे। व्यवसाय शुरू करने की लिए निजी भवन या बिल्डिंग की जरूरत नही होती है, आप इसके किराए में ही वहा बेहतर कर सकते हो इसलिए ये विचार ना लाए की मेरे पास अच्छी बिल्डिंग नहीं है। बिजनेस ( Bussiness) हमेशा 1000 दिन म
पुरुष ही है जिसे हर चीज़ जताना नहीं आती है।
एक पुरुष ही है जो पिता है, पति है, भाई है, या अन्य रिश्तों में जब वह दिखता है, तो जब पति धर्म निभाता है तब पत्नी कितनी ही शिकायतें लेकर आती है, ऐसा नहीं किया मेरे लिए कुछ नहीं मिलता है, ना कभी मेरी सुनते है, आज दिन तक मेरे लिए क्या किया है, मेरे लिए तो समय ही नहीं है, परंतु वो ये नहीं समझती है, जो किया है किसके लिए किया है, जो कर रहा है किसके लिए कर रहा है, क्या आप दिन भर काम करते है, कोई समस्या तो नहीं होती है, दिन भर दौड़ते दौड़ते ना पानी का पता ना खाने का बस जहन में एक ही बात होती है कुछ कमा लूं पत्नी और परिवार के कुछ काम आयेंगे।
फिर वो पिता बन जाते है अब उनके आंगन में कोमल सा फूल खिलता है, पत्नी को जरा सा भी आभास नहीं होता है परंतु खुशियां दुगनी के साथ जिम्मेदारियां और बड़ जाति है, आज बेटी के स्कूल ka पहला दिन है उससे पूर्व पिता ने बच्ची के ड्रेस जूते किताबे सब की तैयारी कर ली, पत्नी को जरा सा भी आभास नहीं है ये सब कैसे होता है, कितने संगर्षो के बाद वो पिता वो पैसे कमाता है, फिर भी कभी से जताया या एहसास नहीं होने देता है की मैं कर रहा हूं।
साथ में सिस्टर की शादी का समय भी आ जाता है, फिर उसकी तैयारी में लग जाते है, वो भी ना जानें कितने जगह से व्यवस्था उस पिता को करना होती है, जिनके आय का स्त्रोत सिर्फ उसकी नौकरी थी, जिनमे उसकी बचत नाम मात्र की होती है, अब फिर भी शादी है व्यवस्था में लग जाते है पूरा परिवार खुशियां मना रहा होता है पिता को ये चिंता रहती है ये व्यवस्था कहा से होगी, शादी का सारा सामान आ गया है बस किराना बाकी रह गया है, पैसे का अभाव है क्योंकि जॉब में ज्यादा पैसे नहीं मिलते है, फिर अचानक याद आया मेरे दोस्त से बोलता हु कभी वो कुछ करवा दे शायद। दोस्त से बात होती है तो बताया जाता है सामान तो मिल जायेगा आधा पेमेंट जमा करना होगा, फिर वो इधर उधर से व्यवस्था करते है इधर परिवार खुशियां मना रहा है वो पिता व्यवस्था में लगा हुआ है फिर भी किसी को भनक तक नहीं है पिता कैसे व्यवस्था जूटा रहे है। फिर सबने हल्दी की अलग ड्रेस ली, बिंदोली की अलग ली और जिस दिन बारात आएगी उस दिन और रिसेप्शन में अलग पहनेंगे, कह कर अलग ली, पिता से बोला एक आप भी ले लीजिए, इतने में पिता ने बड़े प्यार से मुस्कुरा कर बोला नहीं मेरे पास तो है में बस एक ही लेंगे। ये कहकर एक ड्रेस सबके कहने पर ले लेते है। पिता सबकी खुशियों का ध्यान रखकर खुद की खुशियों का गला घोट कर भी कभी एहसास तक नहीं होने दिया वो पिता या पुरुष ही हो सकता है। इसलिए मेरा सभी नारी शक्ति से आग्रह है, कभी उन्हें समझने का प्रयास करिए, उसका दिल बहुत ही खुबसूरत है।
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