दो दिलों का रिश्ता कैसा होना चाहिए दो दिलों का रिश्ता डाली और फूल सा होता है, फूल टूट जाय तो डाली सुखी लगती है, फूल खिल जाय तो वही डाली खुबसुरत लगने लगती है, उसी प्रकार रिश्ते में भी दोनों दिलों का महत्व होता है एक ओर से निभाने वाले दिल के रिश्ते कभी ज्यादा नहीं चल पाते है क्योंकि वो दिल से नही दिमाग से निभाए जाते थे। इसलिए दो दिलों का रिश्ता ऐसा मजबूत होना चाहिए कि एक के बिना दुसरे का काम नही चल सकता है। दो दिलों का रिश्ता एक खूबसूरत एहसास है जब रिश्तों को किसी प्रकार से तोलने का प्रयास करोगे तो कभी आप बराबर तोल नही पाओगे क्योंकि ये रिश्ते एहसास से नापे जाते है, एहसास ही वो चीज़ है जिससे आपके रिश्ते की मजबूती पता चलती है।
जीवन में खुश रहने का मूल मंत्र
जीवन में खुश रहने का एक ही मंत्र है,जो है उसमे खुश रहना सीखिए। जीवन में जो दिल को अच्छा लगे वो हमे करना चाहिए । जब किसी को आपकी आवश्यकता होती है और उसकी मदद आप अगर करते है और उससे उसका काम हो जाता है जिससे वो दिल से आपका शुक्रिया करता है उस खुशी का अनुभव आप करते हो वो खुशी जीवन में सबसे अलग होती है। इससे लिए खुश रहने के जीवन में बहुत से मंत्र होते है। खुशी जीवन का हिस्सा होती है इसलिए खुश रहना बहुत जरूरी है।
जीवन में असली खुशी कैसे मिलती है।
खुशी आज के समय में व्यक्ती में आम तौर पर दिखावटी होती जा रही है। दिल से खुशी या अन्दर से जो खुशी का अनुभव होता है वो बहुत कम होता जा रहा है, आदमी मानसिक रुप से तनाव पूर्ण जीवन जी रहे है, जिसके उसके मन मस्तिष्क में खुशी कही से कही दिखाई नहीं देती है, उस खुशी के विलुप्त होने के बहुत से कारण होते है, जैसे आम तौर पर व्यक्ती स्वयं के दुख की बजाय दुसरे के दुःख से दुःखी होता है, दूसरा व्यक्ती दुसरे के घर कुछ भी होता है वो देख देख दुखी होता है, उसका घर कितना अच्छा है, उसके कितनी सुंदर बीवी है, उसके कितना काम धाम है, उसके पास कितना पैसा है, वो इतना अच्छा काम करता है, आदि प्रकार के विचारों से आदमी अगर बचता है तो उसके जीवन में स्वतः ही खुशियां आने लगती है, चेहरे पर खुशी लौटने लगती है।
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